भगवान के घर न देर है और न अंधेर है -आचार्य विजय भूषण आर्य

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दिल्ली, मामेंद्र कुमार  : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कोरोना काल में 317 वां वेबिनार था। वैदिक विद्वान आचार्य विजय भूषण आर्य ने कहा कि भगवान के घर न तो देर है और न ही अंधेर है अपितु उसकी न्यायोचित व्यवस्था के अंतर्गत सारे कार्य होते है।उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग इस बात को बात बात में बोलते हुए भगवान् पर एक प्रकार का आरोप लगा देते हैं कि भगवान् तू गलती तो करता है । गलती का क्या अर्थ हुआ? देर करना। क्योंकि ” देर ” करना किसी भी काम में दोष ही कहलाता है। जैसे आप ऑफिस में देर से पहुंचे तो इसे दोष ही माना जायेगा। बच्चा स्कूल में देर से पहुंचा तो यह दोष ही कहलायेगा। आप विदेश जा रहे हैं और समय पर एयरपोर्ट नहीं पहुँच सके,तब भी यह दोष ही कहलायेगा।आप यहीं रह जायेंगे और जहाज़ चला जायेगा।अब ज़रा विचार करें कि यही बात आप भगवान् के लिए भी कह रहे हो कि उसके घर देर है पर अंधेर नहीं,तो बताओ आप ईश्वर पर दोषारोपण ही तो कर रहे हो । जबकि ईश्वर ने आज तक कोई गलती नहीं की और न वह कभी गलती कर सकता है। जब हम यज्ञ की पूर्णाहुति करते हैं तो इस मंत्र का पाठ करते हुए बोलते हैं

ओ३म् पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते। अर्थात् ईश्वर पूर्ण है उसने संसार को रचा भी पूर्ण है और अंत में बच भी पूर्ण ही जायेगा।अस्तु, भगवान् में कोई कमी,न्यूनता, छिद्र या दोष नहीं है।जाने अनजाने हम यह कहकर उस पर दोष लगाते रहते हैं और कहते हैं — भगवान् के घर देर है अंधेर नहीं। हमें कोई भी बात कहने से पहले उसे बुद्धि की तराज़ू पर तोलना चाहिए फिर बोलना चाहिए। हम जो कुछ बोलते हैं वह बात अन्य लोग सुनते हैं और उस बात को मानना प्रारंभ कर देते हैं। अतः बोलना सोच समझकर चाहिए जिससे दूसरों के मन में कोई भ्रान्ति न पैदा हो।इसी के समान कुछ और बातें भी लोग बिना विचारे बोल देते हैं जैसे दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम। अरे भाई, किसी का भी नाम खाने पीने की चीज़ पर ईश्वर नहीं लिख सकता क्योंकि हम (आत्मा) कर्म करने में स्वतंत्र है। यदि ईश्वर हमारे लिए लिख देगा तो हम मांसाहार करने और शराब आदि पीने पर दोषी नहीं कहला सकते। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि ईश्वर सर्वशक्तिमान, न्यायकारी है सभी कार्य न्यायपूर्वक ही होते हैं ।

मुख्य अतिथि डॉ.गजराज सिंह आर्य ने कहा कि कर्मफल व्यवस्था के अंतर्गत सभी कार्य होते है।अध्यक्षता आर्य नेता राजकुमार भंड़ारी ने की। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि संसार में तीन वस्तुएं सदा से थीं,हैं और रहेंगी।ईश्वर,जीव और प्रकृति।प्रकृति में एक गुण है कि वह सत्य है,जीव में दो सत्य और चेतन है,ईश्वर में तीन सत्य,चेतन और आनन्द।जीवात्मा को आनन्द परमात्मा के सानिध्य में आने पर ध्यान योग द्वारा मिलेगा,प्रकृति में नहीं।

गायिका प्रवीना ठक्कर,रजनी गर्ग,रजनी चुघ,कमला हंस,कुसुम भंड़ारी,रेखा वर्मा,रविन्द्र गुप्ता, नरेन्द्र आर्य सुमन आदि ने भजन सुनाये ।

प्रमुख रूप से रामकुमार सिंह आर्य,महेन्द्र भाई,भरत सचदेवा, के के यादव,आस्था आर्या,वेद भगत,अमीरचंद रखेजा, राजेश मेहंदीरत्ता, विजय चोपड़ा आदि उपस्थित थे ।