माँ ही बच्चों को कमजोर या बहादुर बनाती है -योगाचार्य श्रुति सेतिया
दिल्ली, मामेंद्र कुमार : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “माँ की सेवा ही यशस्वी बनाती है” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया ।
मुख्य वक्ता योगाचार्य श्रुति सेतिया ने कहा कि
” वह माँ ही है जिसके रहते जिंदगी में कोई गम नहीं होता,
दुनिया साथ दे या ना दे पर मां का प्यार कभी कम नहीं होता “
संत कहते हैं कि मां के चरणों में स्वर्ग होता है । भगवान राम ने भी माता को स्वर्ग से महान बताया है। माता अपने पुत्र को बलवान बना सकती हैं । जैसे कहा जाता है कि मकान की नींव कमजोर हो तो मकान गिर जाता है, उसी प्रकार मां के द्वारा दी जाने वाली संस्कारित शिक्षा के बिना मनुष्य का जीवन पशु तुल्य और निस्तेज हो जाता है । ऋग्वेद के एक मंत्र के माध्यम से ऋषि यह सिद्ध करना चाहते हैं कि मां की शक्ति अपार होती है, लेकिन इसका लाभ श्रद्धावान और सेवा भाव से भरपूर संतान को ही मिलता है। यदि वह माँ के हृदय को ठेस पहुंचाते हैं तो निश्चित तौर पर आशीष की तरंगे निष्क्रिय हो जाती हैं। ऐसा आप्त पुरुषों का वचन है कि जिस दिन हमारे कारण हमारी मां की आंखों में आंसू आते हैं उस दिन हमारे जीवन के सारे पुण्य पाप में बदल जाते हैं । चाणक्य नीति के कौटिल्य कहते हैं कि माता के समान कोई देवता नहीं है । माता की सेवा के साथ पिता और गुरुजनों की सेवा करने वाला, दीन -हीन की सहायता करने वाला संसार में यश प्राप्त करता है। मातृ शक्ति का सम्मान आज के युग में बहुत जरूरी है। जबकि हम सब जानते हैं कि यदि माताओं का सम्मान नहीं करेंगे तो राष्ट्र व समाज का पतन हो जाएगा। इसलिए हम सभी संकल्प लें और ‘माता निर्माता भवति’ इस कथन को विचार कर माताओं के सेवा और सम्मान करें।
” सूरज की दहक तू ही है
हवा की महक तू ही है
चलती सांसों की लय तू ही है
मां ,भगवान की बदली सूरत तू ही है”
प्रत्येक युग में मां का आदर होता आया है, होता रहा है और हमेशा होता रहेगा, परंतु इस कलयुग में शायद हमारे संस्कारों में नैतिक मूल्यों को देने में कुछ कमी रह गई है, जो वह मां को सहारा देते समय आंख फेर लेते हैं। हमारी पीढ़ी को आज यह समझना होगा कि इस मशीनी युग में मां को मशीन नहीं समझे ,उसके धड़कते दिल को अपने दिल से महसूस करें। प्यार एवं सम्मान देकर उसके असीम आशीर्वाद व प्यार को बटोरते रहें । केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि माँ की महिमा अपरम्पार है,माँ का ऋण हम कभी नहीं चुका सकते । समाज में बढ़ते हुए वर्ध आश्रम चिंता का विषय है यह संस्कारों की कमी व नैतिक मूल्यों के हास के कारण हो रहा है जिससे परिवार बिखर रहे हैं । शिक्षा ऐसी होनी चाहिये जिसमें माता पिता के प्रति कर्तव्यों का पालन हो ।
अध्यक्ष आर्य नेत्री शमा महाजन ने कहा कि माँ के दिये संस्कार ही समाज व राष्ट्र की नींव का काम करते हैं । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा आर्य समाज चरित्रवान संस्कारित युवा पीढ़ी का निर्माण करता है । गायिका प्रवीना ठक्कर, दीप्ति सपरा,रचना वर्मा,ईश्वर देवी, रजनी गर्ग,रजनी चुघ,मर्दुल अग्रवाल, कुसुम भंड़ारी, सुशांता अरोड़ा, रेखा गौतम, किरण सहगल, सुदेश आर्या,जनक अरोड़ा, चन्द्रप्रभा आर्या,दया आर्य आदि के मधुर भजन हुए ।