जीवन में तप से ही कुछ पाया जा सकता है-विमलेश बंसल दर्शनाचार्य
दिल्ली, मामेंद्र कुमार (चीफ एडिटर) : वी केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “परमानन्द की ओर” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कॅरोना काल में 328 वा वेबिनार था । वैदिक विद्वान विमलेश बंसल दर्शनाचार्य ने कहा कि बिना तपे कुछ नहीं मिलता, जीवन में कुछ पाने के लिए तप व साधना करनी पड़ती है । उन्होंने कहा कि – ईश्वर के परमानन्द को पाने में तप का महत्त्वपूर्ण योगदान है तपः स्वाध्यायः ईश्वर प्रणिधानानि क्रिया योग: क्रिया योग का महत्त्वपूर्ण घटक तप है बिना तपे कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता, सूरज तप कर ही सबको प्रकाश से भर रहा है, वृक्ष तप कर ही पथिकों को छाया विश्राम शीतलता फल फूल दे रहे हैं। स्वयं ईश्वर तप कर ही सारे ब्रह्मांड को ऋत और सत्य से उत्पन्न कर पालन पोषण रक्षण कर रहा है फिर मानव का भी कर्तव्य हो जाता है वह भी तपस्वी बन कर नर सेवा नारायण सेवा करते हुए परमानंद की ओर बढ़े। सभी जड़ चेतन आदि ईश्वरीय प्रजा को सम्यक सेवन करे और अपनी सेवा दे, सेवा देने में जो भी स्वयं को कष्ट आते हों उनको प्रसन्न होकर सहना सीखे, जो भी व्यक्ति इस तरह तप करते हुए जप करता है वही समझो परमानन्द की ओर बढ़ रहा है गीता में महर्षि व्यास ने वाणी के लिए मधुर बोलना, श्रुति अनुकूल- सत्य प्रिय व हितकर बोलना, मन के लिए हमेशा प्रसन्न रहना, शान्त रहना, मॉन अर्थात् ईश्वर में ऑन रहना, आत्मद्रष्टा बनकर रहना, स्वाध्याय व विवेक वैराग्य का अभ्यास करते हुए रहना और शरीर का तप- देव, द्विज, गुरु, प्राज्ञ का सत्कार करना, शुचिता में जीना, विनम्र होना, ब्रह्म के अनुकूल विचरण करना,अहिंसा का पालन करना यह तीन प्रकार के तपों के बारे में श्लोकों द्वारा बताया है आओ हम सब भी यह ईश्वर व उसके जगत से तप की शिक्षा ले तपस्वी बनकर उस तपमय परमात्मा के परमानन्द को पाने उसकी ओर बढ़ें तभी मानव जन्म साफल्य।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि कुछ ईंटे अपना वजूद नीव में खोती है, तब जाकर कोई इमारत खड़ी होती है । कर्मशील मनुष्य ही जीवन में कुछ पा सकता है । है कर्मशील मनुष्य कर्म कर । तप, साधना, पुरुषार्थ जीवन का आधार है । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि सभी महापुरुषों का जीवन पढ़ लो सभी ने पाने के लिए अपना सरसव होम किया है । अध्यक्ष आर्य नेता ओमप्रकाश अरोड़ा ने कहा कि पुरुषार्थ से कभी दिल न चुराये । आर्य नेता मनजीत सिंह चौहान(बहनोई डॉ. अशोक कुमार चौहान,संस्थापक अध्यक्ष, एमिटी विश्वविद्यालय,नोएडा) के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया ।
गायक रविन्द्र गुप्ता,नरेन्द्र आर्य सुमन,सुदेश आर्या,रजनी चुघ,ईश्वर देवी,रजनी गर्ग,विजय खुल्लर, वीना आर्या,जनक अरोड़ा, कमला हंस,कमलेश चांदना, राज श्री यादव, सुशांता अरोड़ा आदि ने मधुर भजन प्रस्तुत किये ।