कारण और कार्य का सम्बंध ज्ञान पूर्वक समझें-आचार्य विजय भूषण आर्य
दिल्ली, मामेंद्र कुमार (चीफ एडिटर) : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “ईश्वर क्या नहीं करता” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कॅरोना काल में 330 वा वेबिनार था । वैदिक विद्वान आचार्य विजय भूषण आर्य ने कहा कि कारण और कार्य का सम्बंध ज्ञान पूर्वक समझना चाहिए । उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग जो वेदों का स्वाध्याय नहीं करते वे अपनी मनगढ़ंत बातों को मान कर अंधविश्वास से घिरे रहते हैं और शुद्ध ज्ञान न होने के कारण दुःख को प्राप्त करते हैं । सबसे पहले इस बात को ठीक से जानना अनिवार्य है कि ईश्वर अवतार नहीं लेता। ईश्वर का आना जाना किसी भी तरह सिद्ध नहीं हो सकता। क्योंकि जो सर्वव्यापक है उसका ” आ जाना ” और यह कहना कि ईश्वर ने साकार रूप धारण कर लिया है मात्र अपनी अज्ञानता का परिचय देना ही है । जो आता है वह जाता भी अवश्य है। ईश्वर द्वारा शरीर धारण कर लेने की बात मानने का अर्थ है उसकी सभी शक्तियों को समाप्त प्राय कर देना। जो शरीर धारण कर लेगा वह एकदेशीय हो जायेगा और वह सब जीवों के कर्मों को नहीं जान सकेगा और जब सब जीवों के कर्मों को ही नहीं जान सकेगा तो उनके कर्मों का फल कैसे प्रदान करेगा ?
कोई ईश्वर से गुहार लगाता है कि मेरी नौकरी लगवा दे ,मैं तुम्हारे नाम पर लंगर लगा दूंगा। कोई मुकदमा जीतने की बात पर मंदिर में प्रसाद चढ़ाने की कहता है ।कोई तो यहां तक कह देता है हनुमान जी के मंदिर में जाकर कि मेरी शादी करवा दो। कोई एक्सीडेंट में मर जाता है तो वह सारा दोष ईश्वर पर लगा देता है । कहीं आतंकवादी बम फेंककर लोगों की मौत का कारण बनते हैं तो भी यह भोला इन्सान यही मानता है कि ईश्वर को यही मंज़ूर था। इन जैसी और भी अनेक अनर्गल बातों पर विश्वास करता हुआ इन्सान अंधे कुएं में गिर कर अपने ज्ञान की डींग मारने की नाकाम कोशिश करता रहता है। और यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि आज लोग स्वाध्याय नहीं करते । वेद शास्त्र नहीं पढ़ते। विद्वानों चरणों में बैठकर ज्ञान अर्जित नहीं करते तो बताओ भला उनका कौन और कैसे समझाये कि ये सारी बातें अवैदिक हैं। इन बातों का ईश्वर से कोई सम्बन्ध नहीं है। यदि आपके घर कोई अभी अभी आया है और उसके आते ही लाइट आ जाए तो यह कहना उचित नहीं होगा कि आप आये और अपने साथ लाइट भी ले आये। अतः ईश्वर को पहले ठीक से समझने की आवश्यकता है । वही सृष्टि की रचना करता है ,वही चलाता है और वही अंत में प्रलय भी करता है। न तो आपके द्वारा प्रार्थना करने पर आपका घर बना कर देगा ,न आपके लिये भोजन बना कर देगा , न आपकी तबीयत खराब होने पर आपको दवाई ला कर देगा। ये सब कार्य आपके अपने हैं ।ईश्वर ऐसे कार्यों को नहीं करता चाहे आप कितने ही हाथ जोड़कर बैठ जायें चाहे आप उससे ज़बरदस्ती कहने-करवाने की कोशिश करें , वह आपके द्वारा करने योग्य कार्यों को कभी नहीं करेगा।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है पर उसके कार्य की सीमा है उसी प्रकार मनुष्य के कार्य की भी एक सीमा है । सभी अपनी अपनी परिधि में ही कार्य करते हैं । मुख्य अतिथि आर्य नेता हरिचंद स्नेही ने कहा कि वेदों की ओर लौटे और ईश्वर के सही स्वरूप को जाने । अध्यक्ष प्रवीन वर्मा ने धन्यवाद करते हुए महर्षि दयानंद जी के उपकारों की चर्चा की । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि ईश्वर प्राप्ति के लिए योग साधना आवश्यक है । गायक रविन्द्र गुप्ता, कमला हंस,रजनी चुघ,रजनी गर्ग,दीप्ति सपरा, सुमन गुप्ता,कृष्णा मुखी, प्रिया वर्मा,विजय खुल्लर, वीना आर्या,जनक अरोड़ा, रेखा गौतम आदि ने मधुर भजन सुनाये ।