फरीदाबाद : धूल भरी हवाओं से बचाव को अरावली का संरक्षण जरूरी
फरीदाबाद : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (एनसीआरबी) ने एनसीआर के लिए जारी मास्टर प्लान-2041 के मसौदे (ड्राफ्ट) में कुछ प्रविधानों को शामिल करने से इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव औद्योगिक नगरी पर पड़ने की आशंकाएं प्रबल हो गई हैं। इसका सीधा असर अरावली के उस हरे-भरे वन क्षेत्र पर पड़ेगा, जो राजस्थान के रेगिस्तान क्षेत्र से आने वाली धूल भरी हवाओं को रोक कर औद्योगिक नगरी के लिए आक्सीजन हब का काम करता है।
अरावली के संरक्षण में जुटी संस्था सेव अरावली संस्था के सदस्य कैलाश बिधूड़ी के अनुसार राजस्थान के रेगिस्तान क्षेत्र से आने वाली धूल भरी हवाओं को रोकने में अरावली के वन प्राकृतिक बैरियर के रूप में काम करते हैं। हर तरह की परिस्थितियों में इसका संरक्षण जरूरी है। अब पिछले दिनों जब अपने शहर का नाम प्रदूषण के मामले में देश-दुनिया के प्रमुख शहरों में शुमार हुआ और वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बार-बार 400 के भी पार जाता रहा, तो अब अंदाजा लगाओ कि अगर अरावली वन क्षेत्र से पेड़ कट जाएंगे, तब क्या हाल होगा अपने शहर का। इससे तो हम सभी सबक लेने की जरूरत है, जबकि जो मसौदा तैयार किया जा रहा है, उससे स्पष्ट है कि अपनी सुविधा अनुसार अरावली से कुछ भी छेड़छाड़ कर लो। सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए और इसके संरक्षण की दिशा में प्रभावी कदम उठाने चाहिए। यह सर्व विदित है और इतिहास को खंगाल लो, तो स्पष्ट है कि जब-जब प्राकृतिक संसाधनों से ज्यादा छेड़छाड़ की गई, तब-तब आपदा आई है। अरावली से अवैज्ञानिक ढंग से लाखों टन पत्थर निकालकर खनन माफिया ने अपने घर भरे हैं, पर कभी उसके संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया। पत्थर खनन के लिए भी तय मापदंड था कि जहां से जितना पत्थर निकाला जाए वहां मिट्टी से इसकी भरपाई की जाए मगर अब घायल अरावली में 150 से 200 फीट गहरे गड्ढे दिखाई देते हैं। राजस्थान का अलवर जिला गुरुग्राम जिला से सटा है। यदि रेगिस्तान की धूल भरी हवाओं को रोकने के लिए अरावली पर्वतमाला जैसा प्राकृतिक बैरियर न हों तो पूरे दिल्ली एनसीआर का बचाव मुश्किल है।
-रमेश अग्रवाल, संस्थापक, टीम अरावली आज फरीदाबाद-गुरुग्राम और राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की जो स्थिति है, यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जाएगी और इसी पर इंसान की आयु निर्भर है। अभी इंसान की औसत आयु जो 80 वर्ष मानते हैं, वो घट कर 65 वर्ष तक आ जाएगा। इसलिए अरावली वन क्षेत्र का संरक्षण बेहद जरूरी है। अरावली से छेड़छाड़ होने का प्रयास होगा, तो उसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा और हमारा तो यह भी कहना है कि शहर के प्रत्येक नागरिक को इसका खुल कर विरोध करना चाहिए।
-मनोज सिंह, पर्यावरण प्रेमी