हिन्दी को जीवन मे अपनाने की आवश्यकता है-नरेन्द्र आहुजा विवेक

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दिल्ली, मामेंद्र कुमार : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में विश्व हिंदी दिवस पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । सभी ने हिन्दी को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया । केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि हिन्दी में पूरे विश्व को जोड़ने की शक्ति है आवश्यकता है ईमानदारी के साथ कार्य करने की । आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने गुजराती होते हुए भी हिंदी में बोला व लिखा क्योंकि उन्होंने हिंदी के महत्व को समझा था यही वह भाषा है जो राष्ट्र को जोड़ सकती है । आज के आधुनिक युग में दूरियां बहुत कम हो गई है सभी के हित एक दूसरे को प्रभावित करते हैं इसलिए भाषा का महत्व और अधिक बढ़ गया है संवाद ही सबको जोड़ता है । हिन्दी केवल भाषा ही नहीं है अपितु संगठन सूत्र का मंत्र है जो भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता का प्रचारक व प्रसारक है । योग दिवस की तरह हिंदी की स्वीकार्यता को बढ़ाने का कार्य सब हिंदी प्रेमियों को मिलकर करना है । उल्लेखनीय है कि 10 जनवरी 2006 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने विश्व हिन्दी दिवस मनाने की घोषणा की थी ।

साहित्यकार व लेखक नरेन्द्र आहुजा विवेक (चंडीगढ) ने कहा कि 10 जनवरी 1975 को नागपुर में पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें 132 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थे, आज हमें हिंदी को आत्म सात यानी कि व्यवहारिक रूप से अपनाने की आवश्यकता है फिर इसकी सुगंध को बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि हिंदी के विकास में हिंदी सिनेमा का अहम योगदान है जिससे हर व्यक्ति तक हिंदी सरलता से पहुँची है । पूर्व मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ओम सपरा ने कहा कि हिंदी साहित्य को खरीदना व पढ़ना इसके विकास में सहायक रहेंगे । गायक प्रवीन आर्या पिंकी, दीप्ति सपरा, रजनी गर्ग,रजनी चुघ,नताशा कुमार, नरेंद्र आर्य सुमन,नरेश खन्ना, अशोक गुगलानी, ईश आर्य,कृष्ण ढींगरा,सुदेश आर्या,देवेन्द्र भगत,प्रवीना ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता ने मधुर गीत सुनाये ।