इस बार गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के अवसर पर आइए,राष्ट्राभिमान जागृति का लें संकल्प
फरीदाबाद : इस बार गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के अवसर पर आइए, राष्ट्राभिमान जागृत करनेवाली कृति करके गणतंत्र दिवस को वास्तविक अर्थों में मनाएं!
परिचय – आज हमारा देश अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। आज तक, पड़ोसी देशों से उत्पन्न खतरे, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और पिछले दो वर्षों से देश को त्रस्त कर रही कोरोना महामारी इन सभी समस्याओं का सभी भारतीयों को सामना करना पड़ रहा हैं। देश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया है। देश की सीमाएं भी सुरक्षित नहीं हैं। भविष्य में भी देश ऐसे ही चलता रहा तो हमारा अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। इसके लिए हमें, इस देश के भावी नागरिक के रूप में, इन सब पर गम्भीरता से विचार करना होगा और कोई समाधान निकालना होगा, तभी कल का भारत आदर्श और समृद्ध होगा। गणतंत्र दिवस मनाते समय हमें इन सभी मुद्दों पर चिंतन करना चाहिए। इसका मुख्य कारण बहुसंख्यकों में राष्ट्राभिमान की कमी है। राष्ट्राभिमान और राष्ट्रभक्ति को जगाने वाली कृति करने से ही सच्चे अर्थों में एक आदर्श गणतंत्र के रूप में मनाए जाने की खुशी होगी और देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले असंख्य क्रांतिकारियों के ऋण से मुक्ति मिलने हेतु प्रयास होगा । स्वतंत्र भारत के प्रत्येक नागरिक को आज से नहीं परंतु अभी से यह निश्चय करना चाहिए कि मेरी प्रत्येक कृति से मुझमें और दूसरों में राष्ट्राभिमान जागृत हो। आज राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर आइए हम इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाकर अपनी देशभक्ति को बढ़ाएं, यही ईश्वर के चरणों में प्रार्थना ।
राष्ट्रीय ध्वज की रक्षा के लिए आवश्यक कृत्य – राष्ट्रीय पहचान के प्रतीक तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय पर्व और अन्य अवसरों पर सम्मानपूर्वक फहराया जाता है। परंतु, इसके उपरांत हम सड़कों पर बिखरे कागज या प्लास्टिक के राष्ट्रीय झंडे भी देखते हैं, कुछ गटर में गिर जाते हैं, कुछ को पैरों के नीचे रौंद दिए जाता है। यह राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान है। राष्ट्रीय ध्वज को अधिक ऊंचाई पर फहराना चाहिए। जब राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और उसे वंदन कर के राष्ट्रीय पर्व के इस दिन पर राष्ट्रगान गाया जाता है, तो हमें इस स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिक होने पर गर्व होता है और जब हम अगले दिन सड़क पर ऐसे कागज के झंडे को पड़े हुए देखते हैं तो हमें कुछ भी नहीं लगता ? इस तरह की कृति को रोकने के लिए कागज और प्लास्टिक के झंडे का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। राष्ट्रध्वज दुपहिया, चौपहिया, कपड़े तथा चेहरे पर नहीं लगाने चाहिए। वर्तमान में कुछ लोग राष्ट्रीय ध्वज को अपने चेहरे पर रंगते हैं, कुछ राष्ट्रीय ध्वज के रंगों वाले कपड़े पहनते हैं और कुछ लोग राष्ट्रध्वज के रंगों का केक काटते हैं। ऐसे करना अर्थात राष्ट्रीय प्रतीकों का अनादर करना । राष्ट्रीय उत्सव के दौरान इस तरह के अनुचित कार्य हो रहे हैं, तो इसे रोकने के लिए उचित कदम उठाना राष्ट्राभिमान है। इस प्रकार के अनुचित कार्य ना हो इसलिए जागरूकता निर्माण करना हम सभी का राष्ट्रीय कर्तव्य है ।
कुछ वेबसाइटों या अन्य देशों में हमारे देश का नक्शा गलत पाया जाता है। इसमें कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, भारत के कुछ हिस्सों को दूसरे देशों में दिखाया गया है। तो इसका अर्थ है कि वे भाग हमारे देश में नहीं हैं, इसलिए हम सभी को इस संबंध में सतर्क रहना चाहिए। यदि ऐसा पाया जाता है, तो इसे तुरंत संबंधित अधिकारी के संज्ञान में लाया जाना चाहिए। इससे हमारे राष्ट्र के प्रति हमारा प्रेम भी बढ़ेगा।
राष्ट्रभक्ति को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम – राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्र की पहचान है, जिसे अधिकतर भारतीयों द्वारा 15 अगस्त और 26 जनवरी के राष्ट्रीय पर्व के दिनों में ही याद किया जाता है। अब केवल 26 जनवरी और 15 अगस्त के दिन ही राष्ट्राभिमान को जगाने के लिए झंडा फहराना, भाषण देना और देशभक्ति के गीत गाए जा रहे हैं, परंतु यहीं पर न रुक कर देश के विकास में हर दिन अपना योगदान देने की आवश्यकता है तथा इस पर विचार करने की भी आवश्यकता है।
गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय कर्तव्यों के प्रति जागरूकता का राष्ट्रीय पर्व है। राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्र का नक्शा (अर्थात मानबिन्दु) हमारे राष्ट्रीय प्रतीक हैं। उनका सम्मान करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। कई जगहों पर हम राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान अथवा हमारे राष्ट्र के मानचित्र का अपमान होते हुए देखते हैं। हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करना और उन्हें कहीं भी अपमानित होने से रोकना भी हमारी देशभक्ति ही है।
ध्वज संहिता के बारे में जागरूकता निर्माण होनी चाहिए – नागरिकों को ध्वज संहिता के बारे में पता होना चाहिए कि राष्ट्रचिन्हों, प्रतीकों का उपयोग कैसे किया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग इस संहिता के अनुसार होना आवश्यक है। यदि ऐसा करने में गलती की जाती है तो यह दंडनीय अपराध है। इसके प्रति जागरूक होना जरूरी है। हम सभी का यह कर्तव्य है कि संहिता को ध्यान में रखते हुए उचित कृति करें।
निम्नलिखित कार्य करने से निश्चित रूप से राष्ट्राभिमान को जगाने में सहायता होगी।-
1. ध्वज अपमान को रोकना
2. क्रांतिकारियों के चरित्रों का अध्ययन और उनके मूल्यों को व्यवहार में लाना
3. देशभक्ति गीतों का पाठ और समूहों में गायन
4. विद्यालय में संपूर्ण वंदे मातरम कहने के लिए प्रेरित करना
5. राष्ट्रगान का अपमान हो रहा है तो इसे रोकें
6. क्रांतिकारियों के जीवन पर आधारित सेमिनार तथा चर्चा सत्र का आयोजन
7. प्रतिज्ञा के अनुसार आचरण करना
8. क्रांतिकारियों और देशभक्तों के चित्रों की प्रदर्शनियों का आयोजन
9. स्वतंत्रता दिवस अथवा गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज के होने वाले अपमान को रोकना
प्रत्येक भारतीय नागरिकों द्वारा राष्ट्राभिमान रख कर उपरोक्त कृति का आचरण कर के अन्यों को कृति के लिए प्रवृत्त करना, यही खरा गणतंत्र है । गणतंत्र दिवस के अवसर पर हम सभी ऐसा संकल्प लेंगे ।