वैदिक राज्य व्यवस्था का अर्थ है जहाँ सभी को समान रूप से न्याय मिले -अनिल आर्य
दिल्ली, मामेंद्र कुमार (चीफ एडिटर:डिस्कवरी न्यूज 24) :केंद्रीय आर्य युवक परिषद के तत्त्वावधान में “आदर्श वैदिक राज्य व्यवस्था” पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया ।यह कोरोना काल में 343 वां वेबिनार था।
वैदिक विद्वान अतुल सहगल ने वैदिक विचारधारा के मुख्य सूत्रों को आधार बना के आदर्श राज्य व्यवस्था का अवलोकन किया। जो व्यवस्था सैद्धांतिक रूप से वेद और मनुस्मृति पर आधारित हो,वह न्याय,शांति और समृद्धि लाने वाली होगी।साथ ही हर परिस्थिति में कारगर व स्थिर रहेगी।हमें उपरोक्त ग्रंथों से सूक्त लेकर अपने देश और अन्य देशों के लिए ऐसे ही राज्य व्यवस्था के ढांचे को रचना होगा।उन्होंने युक्ति और तथ्य के साथ आदर्श राज्य व्यवस्था के इस प्रस्तावित ढांचे के महत्पूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला।वर्तमान राज्य व्यवस्था की कमियों पर प्रकाश डालते हुए, उसके कई दुष्परिणामों का उल्लेख किया।इस सन्दर्भ में कुछ प्रासंगिक घटनाओं की चर्चा की और संगत उदाहरण रखे।न्याय, सत्य, स्वतंत्रता को बढ़ाने वाली वह व्यवस्था शाश्वत धर्म की आधार शिला पर ही बन सकती है।वेद मन्त्रों और मनुस्मृति के श्लोकों को सामने रखते हुए ऐसी प्रजातंत्रिक व्यवस्था की रुपरेखा को प्रस्तुत किया और इस बात पर बल दिया कि आज की परिथितियों में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना परमावश्यक है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि वैदिक व्यवस्था का अर्थ है जहाँ सभी को समान रूप से न्याय मिले।राजा मंत्री परिषद के अंतर्गत व मंत्री परिषद के प्रजा के अधीन कार्य करती है। मुख्य अतिथि हेमराज सपरा (सिरसा) व अध्यक्ष डॉ. श्वेतकेतु शर्मा(बरेली) ने वैदिक व्यवस्था को सर्वोत्तम बताते हुए वेद, मनुस्मृति व सत्यार्थ प्रकाश के अमल में लाने पर बल दिया। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि वैदिक मान्यताओं को अपनाने पर बल दिया। गायिका प्रवीना ठक्कर, रजनी गर्ग,रजनी चुघ, कमला हंस,नरेंद्र आर्य सुमन, विजय खुल्लर, सुदेश डोगरा, रविन्द्र गुप्ता, वीरेन्द्र आहुजा आदि के मधुर भजन हुए। प्रमुख रूप से गौर मोहन माथुर (श्री गंगानगर),राजेश मेहंदीरत्ता, कमांडर पी सी बक्शी, उर्मिला आर्या,ईश आर्य, आस्था आर्या, रेणु घई,चंद्रदेव शास्त्री आदि उपस्थित थे।