रूस और यूक्रेन विवाद के बीच भारत की पसोपेश की स्थिति? मास्‍को-अमेरिका तनाव में किसका पक्ष लेगा भारत- जानें एक्‍सपर्ट व्‍यू

Spread This

रूस और यूक्रेन के बढ़ते तनाव के बीच एक बार दुनिया में युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। यूक्रेन के पक्ष में अमेरिका और नाटो के सदस्‍य देशों ने कमर कस ली है। दुनिया के कई देश इस मतभेद को लेकर लाम‍बंद हो रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि भारत का इस समस्‍या को लेकर क्‍या स्‍टैंड होगा। सवाल यह है कि क्‍या इस समस्‍या पर भारत का रुख तटस्‍थ रहेगा। क्‍या भारत अपने परंपरागत मित्र रूस के साथ रहेगा या वह नाटो व अमेरिका के साथ जाएगा। जाहिर है कि भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं, लेकिन हाल में भारत और चीन सीमा विवाद के साथ अमेरिका से नजदकियां बढ़ी है। आइए जानते हैं कि इन सब मसलों पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है।

1- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी सैन्य टकराव का असर पश्चिमी देशों के साथ दुनिया के अन्‍य देशों पर भी पड़ रहा है। उन्‍होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। उधर, रूस ने भी कहा है पश्चिमी देशों को इसका करारा जबाव मिलेगा। रूस यूरोप में गैस की आपूर्ति में कटौती कर सकता है। इसका असर तेल की कीमतों पर पडे़गा। यूक्रेन का डोनबास इलाका जो रूस और यूक्रेन बीच विवाद में सबसे अहम है और यहां का सबसे बड़ा रिजर्व है। ऐसी स्थिति में रूस चीन के साथ तेल और गैस बेचने की बात करेगा। इससे वैश्विक ऊर्जा बाजार प्रभावित होगा और तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। इसका असर भारत पर भी पड़ेगा।

2- प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि भारत अफगानिस्तान जैसी घटना से सबक लेगा। भारत अफगान‍िस्‍तान जैसी स्थिति से बचना चाहेगा। अमेरिका अफगानिस्‍तान से निकल आया है और तालिबान को मान्यता देने में चीन ने बेहद तेजी दिखाई। इससे अफगानिस्तान में निवेश के मामले में चीन ने भारत से बढ़त ले ली। इस घटना से भारत की योजनाएं खटाई में पड़ गईं। भारत अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इराक, ईरान,लीबिया और यहां तक की चीन में अमेरीकी नीतियों की कीमत अदा कर चुका है। भारत की चिंता एक और मामले को लेकर बढ़ेगी क्योंकि यूक्रेन तनाव की वजह से अमेरिका का ध्यान एशिया-प्रशांत क्षेत्र से हट कर पूर्वी यूरोप पर बना रहेगा।

3- रूस और यूक्रेन के बढ़ते तनाव का असर भारत और पाकिस्‍तान के संबंधों पर भी पड़ेगा। भारत और अमेरिका के निकट आने के बाद पाकिस्‍तान भी रूस के साथ द्विपक्षीय रिश्‍ते की कोशिश कर रहा है। अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी खत्‍म होने के बाद से पाकिस्‍तान रूस के साथ द्विपक्षीय साझेदारी बढ़ाने में लगा है। यदि यूक्रेन संकट के चलते भारत व रूस के रिश्‍ते प्रभावित होते हैं तो पाक मास्‍को के साथ अपने रिश्‍तों को मजबूत करने का मौका खोजेगा। हाल में पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फोन कर रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन को इस्‍लामाबाद आने का न्‍योता दिया है। पुतिन अगर पाकिस्‍तान की यात्रा पर जाते हैं तो यह उनका पहला दौरा होगा।

4- प्रो. पंत ने कहा कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच जंग की स्थिति उत्‍पन्‍न हुई तो जाहिर तौर पर इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। भारत भी इसका अपवाद नहीं होगा। यह जंग सामान्‍य नहीं होगी। इस जंग में पूरी दुनिया दो हिस्‍सों में बंट सकती है। ऐसे में इसका प्रभाव भारत पर पड़ेगा। दरअसल, इस युद्ध में रूस और चीन की निकटता बढ़ेगी। चीन और रूस की निकटता भारत के लिए शुभ नहीं होगी। भारत के साथ चीन सीमा विवाद में रूस और बीजिंग की निकटता कतई ठीक नहीं है।

5- रूस और यूक्रेन में जंग के समय यह देखना दिलचस्‍प होगा कि भारत का क्‍या स्‍टैंड होता है। क्‍या भारत अपने गुटनिरपेक्ष की नीति की वैदेशिक नीति पर वापस लौट आएगा। खासकर तब जब शीत युद्ध के बाद गुटनिरपेक्ष की नीति बहुत प्रासंगिक नहीं रह गई है। ऐसे में क्‍या इस जंग के समय भारत तटस्‍थ रहेगा। हालांकि, उन्‍होंने कहा कि हमें नहीं लगता है कि रूस यूक्रेन के खिलाफ जंग करेगा। उन्‍होंने कहा कि पुतिन के लिए हमला करना इतना सरल नहीं है। रूस की अर्थव्यवस्था यूरोप में गैस सप्लाई पर बहुत हद तक निर्भर है। अगर रूस हमला करता है तो चीन के साथ रूस की निकटता बढ़ेगी और यह भारत के लिए कतई ठीक नहीं होगा। रूस सैन्य आपूर्ति तो नहीं रोकेगा, लेकिन इंडो-पैसिफ‍िक में अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी प्रभावित होगी।

Source News: jagran