जानें- कब और कैसे शुरू हुआ कर्नाटक का हिजाब विवाद, राजनीतिक गलियारों में बढ़ा सियासी पारा
नई दिल्ली । कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद ने बीते कुछ समय से राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर रखी है। यहां के कई स्कूल और कालेजों में हिजाब पहनकर आने वाली लड़कियों को एंट्री नहीं दी जा रही है। पिछले दिनों इसके जवाब में छात्र भगवा शाल पहनकर स्कूल-कालेजों में आए थे। ये विवाद दरअसल पिछले माह उडुपी और चिक्कमंगलुरु में उस वक्त शुरू हुआ जब कुछ छात्राएं शिक्षण संस्थाओं में हिजाब पहनकर आई थीं। इसके बाद कुंडापुर और बिंदूर के कुछ दूसरे शिक्षण संस्थानों में भी इसी तरह की चीज देखी गई थी। इसके बाद अन्य कालेजों में भी छात्राओं ने इसकी इजाजत मांगी थी। इसके बाद ही इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया। राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा का कहना है सरकार शिक्षा व्यवस्था का तालिबानीकरण करने की अनुमति नहीं दे सकती है। वहीं कांग्रेस इस मुद्दे पर खुलकर सरकार के विरोध में उतर आई है।
राज्य सरकार का आदेश
आपको बता दें कि राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में इस मुद्दे पर विवाद बढ़ने के बाद राज्य सरकार ने ऐसे कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है जो इन संस्थानों में समानता, अखंडता और लोक व्यवस्था को बिगाड़ने में सहायक साबित हो सकते हैं। सरकारी आदेश में कहा गया है कि सभी स्टूडेंट्स को कालेज विकास समिति या कालेज एडमिनिस्ट्रेशन बोर्ड द्वारा तय की गई यूनिफार्म ही पहननी होगी। इसमें कर्नाटक शिक्षा कानून-1983 का हवाला देते हुए कहा गया है कि सभी छात्र-छात्राओं को एक तरह की ही यूनिफार्म पहननी चाहिए जिससे वो एक समान दिखाई दें। कुछ कालेजों में जहां विवाद बढ़ने के बाद दो दिन की छुट्टी की खबर मीडिया में आई है तो वहीं कुछ कालेजों में छात्राओं को हिजाब पहनकर कैंपस में एंट्री का अधिकार देने की भी बात कही गई है। हालांकि इन खबरों में ये भी कहा गया है कि कालेजों में छात्राओं को हिजाब पहनकर कैंपस में आने तक कही इजाजत दी गई है, वो हिजाब पहनकर क्लास अटेंड नहीं कर सकती हैं।
संसद में उठा मुद्दा
अब हिजाब विवाद की गूंज संसद भवन में भी सुनाई दे रही है। पिछले दिनों ये मामला केरल से कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने उठाया था। उन्होंने केंद्र से इस मामले को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की थी। कांग्रेस से वायनाड के सांसद राहुल गांधी ने भी इस बारे में राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हिजाब को शिक्षा में बाधा बनाकर छात्राओं के भविष्य को बर्बाद करने का काम किया जा रहा है। हिजाब विवाद पर कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र का कहना है कि धर्म को शिक्षा से अलग रखना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि पढ़ने वालों को शिक्षण संस्थान में न हो हिजाब पहनकर आना चाहिए और न ही भगवा गमछा।
कांग्रेस का मत और भाजपा का पलटवार
कर्नाटक के कांग्रेसी नेताओं का कना है कि भाजपा और आरएसएस हिजाब के नाम पर राज्य में सांप्रदायिक द्वेष पैदा करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के सिद्धरमैया ने आरोप लगाया है कि ये संघ परिवार का एजेंड है जो हिजाब के नाम पर मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना चाहती है। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने पीएम मोदी को भी घेरने की कोशिश की है। कांग्रेस का पक्ष है कि संविधान ने किसी भी धर्म को मानने का अधिकार दिया है। कोई भी व्यक्ति अपने धर्म के अनुसार कुछ भी पहन सकता है। वहीं भाजपा ने इस पर पलटवार करते हुए कहा है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि क्लासों में इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। सभी को सरकार का आदेश मानना होगा। सरकार शिक्षा के तालिबानीकरण की अनुमति किसी भी सूरत से नहीं देगी।
एक नजर संविधान पर भी
संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक में धर्म की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का जिक्र किया गया है। इसका अनुच्छेद 25 (1) कहता है कि कोई भी किसी भी धर्म को मान सकता है और उसका अभ्यास और प्रचार कर सकता है। वहीं संविधान में सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए राज्य को इस पर अंकुश लगाने का भी अधिकार दिया गया है।
Source News: jagran