विभाग चुनाव में व्यस्त, प्रॉपर्टी व्यापार के बड़े मगरमच्छ धांधलेबाजी में मस्त
जहां एक ओर पंजाब में चुनावी सरगर्मियां तेज़ हो रही है, वहीं दूसरी ओर महानगर के प्रॉपर्टी व्यापार के बड़े मगरमच्छ विभागों से नजरें बचाते हुए अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। गौरतलब है कि लुधियाना के साउथ सिटी एरिया से शुरू होकर लाडोवाल टोल प्लाज़ा तक जाने वाले नए फ्लाईओवर ने कई दिग्गज कॉलोनाइजरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इसके कारण इस क्षेत्र में आने वाली तमाम लैंड की कीमतें दिनों में आसमान छूने लगी है। कॉलोनाइजर चुनावी माहौल का फयादा उठा रहे हैं, क्योंकि इस समय तमाम डिपार्टमेंट के अधिकारी चुनावी गतिविधियों में व्यस्त है। जिसका आलम यह है कि तमाम रेजिडेंशल व कमर्शियल प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री एग्रीकल्चर लैंड में की जा रही है। तहसीलदारों की मिलीभगत के बिना एग्रीकल्चर रजिस्ट्री होना असंभव है, जिसके चलते तहसीलदारों पर भी इन्क्यावरी करनी चाहिए कि इस मामले में इस कदर भ्रष्टाचारी की गई है क्योंकि सुनने में यह भी आया है कि 500 से 1000 रुपए गज़ वाले प्लाट की कीमत 10 हजार से 20 हजार तक पहुंच चुकी है और यह कीमत सालों में नहीं बल्कि कुछ महीनों में ही बड़ी है। इस मामले में बड़े स्तर की जांच बैठक पर ही असल राज सामने आएंगे और संभवत बड़े राजनेताओं व बड़े कॉलोनाइजर के तार भी इससे जुड़े हो सकते हैं।
इन दिनों जितनी भी रजिस्ट्री की जा रही है, उसमें अरबों की ब्लैक मनी कोलोनीज़ेर खपत कर रहे हैं। जब से फ्लाईओवर का सीधा रास्ता लाडोवाल से जुड़ा है, आस-पास जमीनें पहले न के बराबर मूल्य रखती थी, उसमें एक दम से दिलचस्पी देखी जा रही है और एक के बाद एक कॉलोनाइजर अपने पांव फंसा रहा है और अरबों रुपए इन्वेस्ट कर रहा है। जिसके चलते काले धन की खपत भी बढ़ चुकी है।
आयकर विभाग दे इस और अपना ध्यान
आयकर विभाग को मिल सकती है, बड़ी टैक्स चोरी की रिकवरी। विभाग को तत्काल इस ओर प्रभाव कर कार्रवाई आरंभ कर देनी चाहिए और फ्लाईओवर के बाद होने वाली तमाम रजिस्ट्रियों की एक बार गहनता से जांच की जानी चाहिए। विभागीय अधिकारी सर्वे कर बड़ी अमाउंट का टैक्स कलेक्शन कर सकता है।
एक बयान पर ही प्रॉपर्टी आगे से आगे की जा रही है सेल-परचेज
यहां एक और बड़ी चीज बतानी आवश्यक है कि इस क्षेत्र के कुछ एरियों में एक बयानों के आधार पर ही प्रॉपर्टी परचेज कर आगे से आगे बेची जा रही हैं। इस पर न तो ग्लाडा का कोई ध्यान है और न ही इन बयानों वाली प्रॉपर्टी का कोई नक्शा पास हुआ है। इसके साथ अधिकारियों की मिलीभगत के साथ कॉलोनी तक ग्लाडा से अप्रूव नहीं करवाई जाती।