रूस और यूक्रेन सीमा संकट पर धूमिल होती बातचीत की उम्मीद

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Russia-Ukraine Conflict रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दो हिस्सों डोनत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दे दिया है। इन दोनों इलाकों में रूस के सैनिक पहुंच चुके हैं। रूस का कहना है कि उसके सैनिक वहां शांति कायम करने जा रहे हैं। निश्चित तौर पर अमेरिका और यूरोपीय देश इसे यूक्रेन पर रूस के हमले की दिशा में एक कदम मान रहे हैं। फिलहाल बातचीत से इस मसले के हल की उम्मीदें और धूमिल होती जा रही हैं।

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क्या चाहते हैं पुतिन?

इस पूरे मसले की शुरुआत से ही रूस की पहली मांग यही है कि इस बात की गारंटी ली जाए कि यूक्रेन कभी नाटो का हिस्सा नहीं बनेगा। पुतिन का स्पष्ट कहना है कि यूक्रेन का नाटो सदस्य बनना रूस की सुरक्षा के लिए खतरा है, क्योंकि ऐसा होते ही यूक्रेन में नाटो का सैन्य बेस बनने की राह खुल जाएगी। अमेरिका और नाटो ऐसी गारंटी देते नहीं दिख रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस पूर्व, उत्तर और दक्षिण की तरफ से यूक्रेन को घेरेगा और वहां सरकार गिराने की कोशिश करेगा।

पूर्वी यूरोप में नाटो व अमेरिकी सैनिक

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सेना नहीं भेजेंगे पश्चिमी देश

रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की शुरुआत भले ही हो गई है, लेकिन इस बात की संभावना बहुत कम है कि पश्चिमी देश अपनी सेना यूक्रेन में भेजेंगे।

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नाटो का विस्तार रूस की चिंता, ढाई दशक में जुड़े 14 देश

यूक्रेन के नाटो सदस्य बनने को लेकर रूस की चिंता को कुछ हद तक सही भी माना जा सकता है। पिछले ढाई दशक में यूक्रेन के आसपास के करीब सभी देश नाटो सदस्य बन चुके हैं। जाहिर तौर पर इन देशों में नाटो का सैन्य बन गया है या बन सकता है। ऐसे में यदि यूक्रेन भी नाटो सदस्य बना तो रूस नाटो के सीधे निशाने पर आ जाएगा।

Source News: jagran