गिरिराज ने की उत्तराखंड सरकार की सराहना, कहा- समान नागरिक संहिता समय की मांग
पटनाः केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने समान नागरिक संहिता लाने की दिशा में कदम उठाने के लिए उत्तराखंड सरकार की सराहना करते हुए शनिवार को कहा कि देश को शरिया जैसे धार्मिक कानूनों के आधार पर नहीं चलाया जा सकता।
“पूरे देश में होनी चाहिए कानून की एकरूपता”
फायरब्रांड भाजपा नेता ने अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐसी परिस्थितियों को जन्म देने के लिए धन्यवाद दिया, जिसके तहत कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश का कोई भी नागरिक अपनी पसंद के स्थान पर बस सकता है। गिरिराज सिंह ने कहा, “अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी बहुत अच्छा कदम उठाया है। पूरे देश में कानून की एकरूपता होनी चाहिए।” उन्होंने भाजपा शासित पहाड़ी राज्य में एक समिति के गठन का जिक्र करते हुए कहा कि सिफारिशों के आधार पर एक समान नागरिक संहिता पेश की जा सकती है।
“हर कीमत पर हिंदुओं के अधिकारों के लिए लड़ूंगा”
बिहार में बेगूसराय लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय मंत्री ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में ‘‘हिंदुओं के उत्पीड़न” के आरोप को दोहराया। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के हालिया विरोध पर नाराजगी जताई, जिसके कार्यकर्ताओं ने कई स्थानों पर उनके पुतले जलाए थे। सिंह ने कहा, ‘‘ऐसे कृत्य राजग के सदस्यों द्वारा किए गए। मैं हालांकि यह कहना चाहूंगा कि मैं हर कीमत पर हिंदुओं के अधिकारों के लिए लड़ूंगा। अगर वोट बैंक की राजनीति के दबाव में प्रशासन लीपापोती का काम करता रहेगा तो मेरे निर्वाचन क्षेत्र के हिंदू कहां जाएंगे।” पिछले हफ्ते बेगूसराय में कुछ हिंसक घटनाएं हुई थीं, जिन्हें प्रशासन ने दो समूहों के बीच झड़प करार दिया था और कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अस्वीकार किए गए जनसंख्या नियंत्रण कानून के प्रबल समर्थक रहे गिरिराज सिंह ने उस विचार पर नाराजगी जताई कि इस तरह के कदम से रूढ़िवादी मुसलमानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कानून की जरूरत इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए है कि हमारी जनसंख्या का घनत्व पहले से ही उससे अधिक है, जितना हम संभाल सकते हैं। गिरिराज सिंह ने कहा, “यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह एक सामाजिक मुद्दा है। देशभर के राज्यों और जिलों में शरिया जैसे धार्मिक कानूनों को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।”