ग्रामीण युवाओं को खेल के माध्यम से देश व समाज के साथ जोड़ना : योगेश्वर दत्त
ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने कार्यक्रम में उपस्तिथ कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि करीब सात वर्ष की उम्र से ही वह कुश्ती के खेल की ओर रुझान लेने लगे। इस दौरान उन्हें परिवार का भी पूरा साथ मिला और परिवार की तरफ से उन्हें शिक्षा और खेल दोनों पर ध्यान देने की प्रेरणा मिली, जिसके चलते वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम ऊंचा करने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कुश्ती में उनका ध्यान ऐसा लगा फिर कुछ उन्हें और दिखाई ही नहीं दिया।
मुख्य वक्ता डॉ पवन सिंह ने बताया कि पलवल में खंड स्तर पर 6 स्थानों पर एक ही दिन, एक ही समय पर कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें क्रीड़ा भारती के द्वारा पलवल के 150 में सम्पर्क कर 89 गांवों से 120 टीम बनाई गई। जिसमें 4628 लोगों ने भाग लिया। जिसमें 34 कोच/रेफरी व सीनीयर टीम के कप्तानों को आज संघ परिचय वर्ग कार्यक्रम के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 1925 में शुरूआत क्यों करनी पड़ी आदि के बारे में अवगत करवाया गया। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता गांव-गांव में आयोजित की जानी चाहिए। कबड्डी खेल का जन्मदाता भारत है। वर्ष 1936 में कबड्डी को बर्लिन ओलम्पिक में शामिल किया गया। 1938 में यह राष्ट्रीय खेलों में शामिल हुआ। ओलम्पिक में शामिल होने के बाद पूरी दुनिया इस खेल से परिचित हुई। उन्होंने बेहतर स्वास्थ के लिए कबड्डी को महत्वपूर्ण खेल बताया। उन्होंने कहा कि नशे से दूर रहकर खेलों की तरफ ध्यान दें युवा तथा स्वस्थ राष्ट्र के साथ स्वस्थ समाज का निर्माण करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। इस अवसर पर विभाग संघचालक डॉ अरविंद सूद, सतवीर पटेल जिला अध्य़क्ष क्रीड़ा भारती, जिला संघचालक राजेद्र पहलवान,जिला कार्यवाह त्रिलोक,सह जिला कार्यवाह जगवत व भारत सहित क्रीड़ा भारती की संयोजक समिती के सदस्य मौजूद रहे।