जीवित बड़ो का सम्मान करना ही पूजा है -आचार्य हरिओम शास्त्री

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मामेंद्र कुमार (चीफ एडिटर डिस्कवरी न्यूज 24) दिल्ली : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “वैदिक पूजा पद्धति” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कॅरोना काल में 390 वा वेबिनार था । वैदिक विद्वान आचार्य हरि ओ३म् शास्त्री ने कहा कि पूजा नाम सत्कार: अर्थात् पूजा का अर्थ सत्कार या सम्मान करना होता है।चेतन का यथायोग्य सत्कार या सम्मान और जड़/अचेतन वस्तु का यथायोग्य व्यवहार करना/लेना ही उनकी पूजा है। जीवित माता- पिता, दादा -दादी, चाचा -चाची, नाना-नानी और गुरुजनों का हृदय से सत्कार/सम्मान करना चाहिए।यह प्रतिदिन करने योग्य पंच महायज्ञों में ब्रह्मयज्ञ,पितृयज्ञ, अतिथियज्ञ और बलिवैश्वदेवयज्ञ के रूप में हैं। साथ ही पृथ्वी के सभी वृक्षों, वनस्पतियों सहित अन्य चारों महाभूतों को यज्ञ द्वारा शुद्ध करके उनसे यथायोग्य व्यवहार/लाभ लेना ही उनकी पूजा है। जो लोग/बच्चे अपने बड़ों को प्रातः काल उठते ही और रात में सोते समय प्रणाम करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं उनकी आयु, विद्या,यश और बल ये चारों चीजें बढ़ती हैं।

अपने दादा/दादी, चाचा/चाची, माता/पिता, गुरु जनों, भूमि,जल,आकाश,तेज और वायु के आगे या उनके चित्रों के आगे हाथ जोड़कर बैठना उनके साथ न्याय करना नहीं है। बल्कि जीवित बड़ों का यथायोग्य सत्कार/सम्मान करना चाहिए और पृथ्वी,जल आदि अचेतन देवों से यथायोग्य व्यवहार करना चाहिए। उन्हें शुद्ध और पवित्र रखना चाहिए।इसी से संसार सुखमय और स्वस्थ बनेगा। चेतन अथवा जड़ के आगे हाथ जोड़कर बैठना,उनकी आरती उतारना, उनसे मात्र प्रार्थना करना उनकी पूजा नहीं होती बल्कि जीवित बड़ों का/पितरों का यथाशक्ति सम्मान करना उन्हें सन्तुष्ट करना और अचेतनों से यथायोग्य व्यवहार लेना ही उनकी पूजा है। यही बात ऋषिवर दयानन्द जी महाराज ने बतायी है। आशीर्वाद हमेशा लाभकारी होता है। भारत के पहले अन्तरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा ने अपने दादा जी पं.लोकनाथ तर्क वाचस्पति जी के प्रतिदिन के आशीर्वादों कि पुत्र! तुम इतिहास में अमर हो जाओ के कारण अपने जीवन के परमलक्ष्य को प्राप्त कर लिया था। अतः महर्षि मनु मनुस्मृति में कहते हैं-अभिवादन शीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम्।।

 

अर्थात् जो प्रातः काल उठकर अपने बड़ों को प्रणाम और उनकी सेवा करते हैं उनकी आयु,विद्या यश और बल ये चारों चीजें बढ़ती हैं। अतः हमें वैदिक पूजा पद्धति को अपनाकर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि माता पिता व गुरुजनों का आज्ञापालन ही सर्वोत्तम पूजा है । मुख्य अतिथि एडवोकेट सुरेन्द्र कोछड़ व अध्यक्ष श्रेष्ठा शर्मा(पूर्व शिक्षा अधिकारी डी ए वी) ने भी कहा कि वैदिक पूजा पद्धति में यज्ञ सर्वश्रेष्ठ है अतः यज्ञ करना चाहिए । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि होता है सारे विश्व का कल्याण यज्ञ से । गायक रविन्द्र गुप्ता, सुनीता अरोड़ा, रचना वर्मा,विजय खुल्लर, कमला हंस,जनक अरोड़ा, प्रतिभा कटारिया, रजनी चुघ,उमा मिगलानी, आशा आर्य, सुमन गुप्ता, सुदर्शन चौधरी, कुसुम भंडारी आदि के मधुर भजन हुए ।