प्रभु के प्रति दृढ विश्वास डर दूर करता है -नरेन्द्र आहुजा विवेक

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मामेंद्र कुमार (चीफ एडिटर डिस्कवरी न्यूज 24) दिल्ली: केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “डर मत” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । कॅरोना काल में यह 393 वा वेबिनार था । मुख्य वक्ता डॉ. नरेन्द्र आहुजा विवेक(पूर्व राज्य औषधि नियंत्रक हरियाणा सरकार) ने कहा कि हम सभी मनुष्य अपने जीवन में किसी भी जाने अनजाने भय से भयभीत रहते हैं। इसी भय डर के कारण मन में घबराहट हाथों पैरों में कम्पन उद्विग्नता होती है। हमारे भय का कारण हमारे जीवन में हमारे द्वारा किए गए दुष्कर्म होते हैं हम यह भली भांति जानते हैं कि हम सभी को अपने सम्पादित कर्मों के फल ईश्वर की न्याय व्यवस्था में अवश्यमेव भौक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम के अंतर्गत भोगने ही पड़ते हैं। हम अपने जीवन में यह दुष्कर्म कितने भी छिपा कर करें लेकिन एक तो हम खुद और दूसरा दृष्टा सर्वव्यापी परमेश्वर हमारे सभी कर्मों को जानते हैं। हम अपने इन दुष्कर्मों के फलों से मिलने वाले दण्ड से डरते भयभीत रहते हैं। यही डर हमारे मन के कोने में सदा रहता है और हम डर से भयभीत मन में घबराहट , हाथों पैरों में कम्पन , उद्विग्नता , निष्क्रियता , अशक्तता , असंतुलन , मूर्छा , बेहोशी , तनाव , विषाद , ग्लानि , चिड़चिड़ापन , सर दर्द , पीठ दर्द , अनिद्रा जैसे कई लक्षण इस डर के कारण पैदा हो जाते हैं।

वेद भगवान मनुष्य को डर मत का आदेश देते हुए यजुर्वेद 6/35 में कहा मा भेर्मा संविकथा उर्ज धत्सव धिषणे वीडवी सती वीड येथामूजर्म अर्थात मत डर मत घबरा कांप मत ऊर्जा धारण कर द्यो और पृथ्वी के समान अतिशय बल युक्त तथा सद्गुण युक्त होते हुए सुदृढ़ रह ऊर्जा धारण करके तेरे पाप नष्ट हों सोम नहीं। परमात्मा तो सर्वव्यापी है हमारा ओढ़ना बिझोना जिसने हमें चारो तरफ से आच्छादित किया हुआ है और चारों तरफ से प्रभु हमारी सम्यक रक्षा कर रहे हैं। आपको अपने चारों तरफ अपनी रक्षा में जानकर मैं अभय हो गया हूँ। मेरे भय के कारण मेरा अतीत , वर्तमान , हमारी दिशा , ज्ञान अज्ञान , दिनचर्या कर्म आदि हैं। इन डर के कारणों को जानकर हमें इस डर से मुक्ति के निम्न लिखित साधनों को अपनाना चाहिए।

 

1 हम अपनी दिनचर्या को ठीक रखें और प्रत्येक कार्य के सम्पादन से पूर्व मन में यही विचार लाएं की वह परमात्मा हमें और हमारे हर काम को देख रहे हैं। मन में ऐसा विचार करने से हम कोई भी दुष्कर्म करने से बच जाएंगे। अगर कोई गलत कार्य अपराध वा दुष्कर्म नहीं करेंगे तो ईश्वर की न्यायव्यवस्था में दण्ड नही मिलेगा ।
2 हमारा सच्चा मित्र सखा बन्धु पिता वही ईश्वर ही तो है और जब सर्वशक्तिमान ईश्वर हमारा सहायक सखा मित्र हो तो फिर डर कैसा।
3 जब हम देवों से युक्त और असुरों से मुक्त रहेंगे तो मन में डर का कोई स्थान नहीं रहेगा। असुरों से मुक्त अर्थात सभी बुरे आसुरी कार्यों से दूर होकर सभी परोपकार के यज्ञ कार्यों को करेंगे तो डर नहीं लगेगा।
4 अज्ञात कारणों से डर को मन में कोई स्थान ना दें और अज्ञात डर को शिव संकल्प से दूर भगा दें।
5 ज्ञात कारणों से डर को समस्या समझ कर निपटें और कारण का निवारण करने से डर का कोई स्थान मन में शेष नहीं रहेगा।
हुनर सिखाती है चलने का राह की ठोकर।
यों सोच लोगे तो मुश्किल सफर नहीं होगा।।
6 समस्या से अलग करके सोचने का प्रयास करने से भी मन से डर जाता रहता है।
7 अतीत की बातें भूलना ही अच्छा होता है अतीत की गलतियों का प्रायश्चित करने और भविष्य के लिए अपने पूर्ण पुरुषार्थ के उपरांत प्रार्थना करने से डर जाता रहता है।
8 अपने जीवन में कभी संशय की स्थिति में नहीं रहें और खुद को प्रभु के प्रति पूर्णतया समर्पित कर देने से भय खुद भाग जाता है।
9 अपने को कभी अकेला ना समझें वह परमपिता परमात्मा अपने अति सूक्ष्म लेकिन पूर्ण स्वरूप में हमारी आत्मा की आत्मा सदैव हमारे साथ रहते हैं।

 

हम जब भी उदास होते हैं तो समझो अतीत में ही जी रहे हैं चिन्ता सदैव भविष्य की करते हैं यही हमारे मन मे डर का कारण बनते हैं। हमें वर्तमान में शांति से जीना चाहिए और वर्तमान में जीने से डर नहीं लगेगा। कार्यक्रम का संचालन करते हुए केंद्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि सब कार्य ईश्वर के प्रति समर्पण भाव से करे तो सफलता मिलेगी । मुख्य अतिथि आर्य नेता महेन्द्र जेटली व अध्यक्ष ओम सपरा ने भी ईश उपासना पर बल दिया । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन दिया । गायक रविन्द्र गुप्ता, नरेन्द्र आर्य सुमन, प्रवीना ठक्कर, अंजू अहुजा,रजनी चुघ, कुसुम भंडारी, कमला हंस,रेखा गौतम, जनक अरोड़ा, रचना वर्मा,सुनीता अरोड़ा आदि के मधुर भजन हुए ।