महापुरुष समाज की सांझी विरासत होते हैं-आर्य रविदेव गुप्ता
मामेंद्र कुमार (चीफ एडिटर डिस्कवरी न्यूज 24) : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “महात्मा बुद्ध का वैदिक चिंतन” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल में 398 वां वेबिनार था। मुख्य वक्ता आर्य रविदेव गुप्ता ने कहा कि लगभग 2500 वर्ष पूर्व महात्मा बुद्ध ने बौद्ध मत की स्थापना की।अपनी शिक्षा गुरुकुल से आरंभ कर वेदों का भी अध्ययन किया और फिर कालांतर में उससे प्रभावित होकर और कुछ तात्कालिक अंधविश्वास,पाखंड और वेदों के नाम पर ही चलने वाली भयंकर कुरीतियों से विचलित होकर , अपने ग्रंथों का सूत्रपात किया।
हम उनके प्रारंभिक चिंतन को यदि ध्यान से देखें तो उसके अंदर हमको वैदिक दर्शन की भरपूर झलक मिलती है।वह एक स्वयं आर्य सुधारक थे,ब्राह्मणों के प्रति बहुत सम्मान रखते थे,वैदिक कर्मफल व्यवस्था को भी मानते थे एवं मांसाहार के एकदम विरुद्ध थे।स्वयं को आर्य कहने एवं आर्य धर्म के प्रति उनकी श्रद्धा उनके ग्रंथ धम्मपद में स्थान स्थान पर देखने को मिलती है।उनके जीवनकाल में ही बौद्ध पंथ में अलग-अलग मान्यताएं बन गई, बहुत से ऐसे ग्रंथ लिखे गए जो स्वयं बुद्ध के सिद्धांतों से भी मेल नहीं खाते थे परिणाम यह हुआ कि आज का बौद्ध समाज केवल ब्राह्मण विरोध,वेदों की निंदा और मांसाहार में लिप्त होकर वेदों के मार्ग से भटक गया है।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर हमारा उद्देश्य यही हो की उस महापुरुष जिनको पौराणिक हिंदू समाज ने ‘नवम अवतार’ की संज्ञा भी देकर सम्मानित किया,उनके मूल सिद्धांतों को समझें और इस भयंकर विषमता के वातावरण में कुछ ऐसे सूत्रों को ढूंढें जो हमको एक सूत्र में बांधते हैं।किसी भी देश के महापुरुष उसकी साझी विरासत होते हैं और उनको अलग-अलग धर्मों और संप्रदायों के आधार पर बांटना देश,जाति व धर्म के प्रति अन्याय होगा।आइए हम हिंदू समाज के अस्तित्व की रक्षा के लिए महात्मा बुद्ध के मूल सिद्धांतों को स्मरण कर उन पर आचरण करने की सभी को प्रेरणा दें।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा की हमें एक दूसरे की अच्छी बातों को ग्रहण करना चाहिए। मुख्य अतिथि आर्य नेता सुधीर गुलाटी(देहरादून) व राजेश मेहंदीरत्ता(दिल्ली) ने भी अपने विचार रखे।अध्यक्षता जगदीश कपूर(लुधियाना) ने की। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। गायक रविन्द्र गुप्ता,ईश्वर देवी, सुनीता अरोड़ा,कमला हंस, कौशल्या अरोड़ा,कुसुम भंडारी, जनक अरोड़ा,प्रवीना ठक्कर, प्रतिभा कटारिया आदि के मधुर भजन हुए।