आधे लीटर की बोतल में समाया एक बोरी यूरिया, किसानों के लिए चमत्कार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गुजरात के गांधीनगर में विश्व के पहले नैनो (लिक्विड) यूरिया का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि देश में ऐसे 8 और प्लांट स्थापित करने की योजना पर सरकार काम कर रही है।  इफको के पहले नैनो यूरिया कारखाने की दैनिक उत्पादन क्षमता 500 मीलीलीटर की 1.5 लाख बोतल नैनो यूरिया की है। सभी इकाइयों में 3000 रुपये करोड़ के कुल निवेश के साथ प्रतिदिन दो लाख बोतलों की डिजाइन उत्पादन क्षमता होगी, जिसमें से 720 पहले से ही प्रतिबद्ध है और हजारों लोगों के लिए रोजगार पैदा करेगी।

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इफको ने किया विकसित
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने कलोल संयंत्र के कामकाज और इसकी विभिन्न तकनीकों के बारे में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जानकारी दी। इफको ने उद्घाटन कार्यक्रम में नैनो यूरिया के उपयोग को एक फिल्म में वहां मौजूद 7000 से अधिक किसानों और सह-संचालकों को दिखाया। फिल्म में बताया गया है कि इसकी प्रेरणा प्रधानमंत्री की मिट्टी में यूरिया के उपयोग को कम करने के द्दष्टिकोण से ली गई है। अवस्थी ने कहा कि नैनो यूरिया क्रांति का वाहन ड्रोन होगा, क्योंकि यह आधुनिक कृषि तकनीकों और प्रथाओं को पेश करेगा।

डॉ अवस्थी ने कहा कि नैनो यूरिया तरल फसल की पोषण गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने में बहुत प्रभावी पाया गया है और इसका भूमिगत जल और पर्यावरण की गुणवत्ता पर एक बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग में महत्वपूर्ण कमी आई है। उन्होंने बताया कि इफको नैनो यूरिया तरल की 3.60 करोड़ बोतल का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 2.50 करोड़ की बिक्री हो चुकी है।

इफको के अध्यक्ष दिलीप संघाणी ने कहा कि नैनो यूरिया तरल को प्रधानमंत्री मोदी के आत्मानिर्भर भारत और सहकार से समृद्धि के द्दष्टिकोण के अनुरूप बनाया गया है, जिसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है। इंडियन फारमर्स फटिर्लाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने पिछले साल की शुरुआत में दुनिया का पहला इफको नैनो यूरिया (तरल) पेश किया था और जो फटिर्लाइजर कंट्रोल ऑडर्र (एफसीओ,1985) में शामिल है।

इफको नैनो यूरिया (लिक्विड) को स्वदेशी तकनीक के माध्यम से कलोल, गुजरात में इफको नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में विकसित किया गया था। कलोल में पहली इफको नैनो यूरिया (तरल) उत्पादन इकाई को 175 करोड़ रुपये के निवेश के साथ बनाया गया है। वर्तमान में इसकी क्षमता प्रतिदिन नैनो यूरिया की 1.5 लाख 500 मिलीलीटर बोतल का उत्पादन करने की है।

इफको का नैनो यूरिया तरल एक क्रांतिकारी उत्पाद है और सतत कृषि की दिशा में एक कदम आगे है।  नैनो यूरिया लिक्विड की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है। IFFCO नैनो यूरिया एकमात्र नैनो फर्टिलाइजर है जिसे भारत सरकार ने मान्यता दी है और फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर में शामिल किया है। इसे इफको ने विकसित किया है और इसक पैटेंट भी इफको के ही पास है।

फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए किसान यूरिया का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब तक यूरिया सफेद दानों के रुप में उपलब्ध थी। इसका इस्तेमाल करने पर आधे से भी कम हिस्सा पौधों को मिलता था जबकि बाकी जमीन और हवा में चला जाता था। भारत नैनो लिक्विड यूरिया को लॉन्च करने वाला पहला देश है। मई 2021 में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने इसे लॉन्च किया था। इससे पहले नैनो तरल यूरिया को 94 से ज्यादा फसलों को देश भर में 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) पर परिक्षण किया गया था। इसके बाद आम किसानों को दिया गया।

 

source news: punjabkesari