ताजमहल होटल के आर्ट गैलरी में आयोजित कला उत्सव सम्पन्न

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मामेंद्र कुमार (चीफ एडिटर डिस्कवरी न्यूज 24) : वरिष्ठ पत्रकार कालीदास पांडे ने बताया कि  सेलेब्रेटी कॉलोमिस्ट निशा जामवाल ने कलाकार लता बालकृष्ण के कलाकृतियों को ताजमहल होटल (मुम्बई) में आयोजित कला उत्सव प्रदर्शित की इस क्रम में उन्होंने लता बालकृष्ण के लिए की अद्भुत मेजबानी करते हुये उनके द्वारा बनाये गए  ‘मींडरिंग्स’ भी प्रस्तुत किये। निशा जामवाल द्वारा पेश किया गया ये पांच दिवसीय कला उत्सव, इस साल का कोविड के बाद का सबसे चर्चित कार्यक्रम था। प्रसिद्ध कला संग्रहकर्ता, कला प्रेमी,कौंसुल जनरल, लेखक, शीर्ष पुलिस आयुक्त, कॉर्पोरेट जगत के सीईओ, अभिनेता l

गायक, मॉडल, फैशन डिजाइनर, निशा जामवाल के सभी दोस्त, रेका काला घोड़ा में एक ग्रैंड डिनर के साथ शुरू हुए इस शो में शामिल हुए। इस खास मौके पर जापानी कॉउन्सिल जरनल डॉ फुकाहोरी यासुकाता, कोबी शोशानी इज़राइल कौंसिल जनरल , कॉउन्सिल जनरल तुर्की तोल्गा काया, लेखक अश्विन सांघी, उस्ताद अनूप जलोटा, रूप कुमार राठौड़, सारा खान, तनाज ईरानी, ल्यूक केनी, डिजाइनर ईशा अमीन, एमी बिलिमोरिया,पल्लवी जयकिशन, रोशनी दमानिया, परवेज दमानिया, शशि बंसल, मालती जैन, निदान गोवानी सहित सितारों का मेला लगा हुआ था। बकौल निशा जामवाल आर्टिस्ट लता बालकृष्ण ने मुझे अपना काम देखने के लिए आमंत्रित किया, जैसा कि दुनिया भर के कई कलाकार इस इच्छा से करते हैं कि मैं उनके लिए एक शो की मेजबानी करूं।  मैं ज्यादा उम्मीद किए बिना चली गयी जैसा कि मैं हमेशा करती हूं।  यह कहना एक अंडर स्टेटमेंट होगा कि मैं उन कैनवस के रूप में व्याख्या करती थी जो रंगीन बारीकियों और अनुभव के दंगे के साथ जीवन के प्रवाह की बात करते हैं। छाया और धूप की चीयरोस्कोरो, बहते पानी में रंगों की बौछार को देख मैं उसकी दुनिया में खींची चली गयी।

 

 

जहां ‘मैंडरिंग’ का टाइटल मेरे दिमाग में सिर्फ इसीलिए नही आई क्योंकि जलंधर की रहनेवाली, बचपन से ही दुनिया घूमने की अभिलाषी और कुछ अलग ढूंढने की उसकी प्यास थी जबकि मैंने उसके दिमाग मे कला के लिए एक यात्रा भी देखी, जो अपने आप मे अद्भुत हैं। पूरी दुनिया में महिलाओं को मल्टीटास्किंग चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और घर और बाहर के कामों को मैनेज करना होता हैं।यहां तक की चैंपियन को भी जीवन मे आनेवाली चुनौतीपूर्ण बाधाओं के ऊपर चलना होता हैं जी जिंदगी उनको देती हैं। बाहर काम करना, और घर भी चलाना,बच्चे जनना और उनका पालन-पोषण करना, परिवार की जरूरतों की देखभाल और प्रबंधन करना- एक भारतीय और संयुक्त परिवार और जहाँ पुरुषों को सबसे ऊपर समझा जाता हैं उन भावनाओ को खोदना और उसे कैनवास पर उतनी ही खूबसूरती से उभाराना बहुत बड़ी कला है।