जे. सी. बोस विश्वविद्यालय में ‘उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन’ का आयोजन

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फरीदाबाद : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा विश्व उद्यमी दिवस के उपलक्ष्य में स्वावलंबी भारत अभियान के तहत आयोजित ‘उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन’ का आयोजन किया तथा इस उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय द्वारा अपने उद्यमी पूर्व छात्रों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आर्थिक विशेषज्ञ एवं स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह-संगठक सतीश कुमार मुख्य वक्ता थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने की। कार्यक्रम का संचालन स्वदेशी जागरण मंच में उत्तर क्षेत्र संपर्क प्रमुख सतेन्द्र सिंह सौरोत ने किया।

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अपने मुख्य भाषण में सतीश कुमार ने छात्रों को रोजगार, स्वरोजगार और उद्यमिता के महत्व से अवगत कराया और युवाओं से तीन संकल्प लेने का आह्वान किया जिसमें देश को ‘शून्य’ बीपीएल बनाने, शत-प्रतिशत रोजगार प्रदान करने तथा वर्ष 2030 तक भारत को दस ट्रिलियन डॉलर की समावेशी और सतत अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान देना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि देश में 18-30 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं की संख्या लगभग 37 करोड़ है, जो चीन और अमेरिका की तुलना में इस आयु वर्ग में अधिक है और ये युवा भारत को दस ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता है। देश के पास युवा शक्ति के रूप में एक अमूल्य विरासत है, जो सोने से भी अधिक मूल्यवान है। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी का हल केवल युवाओं के पास है। उन्होंने युवाओं को नौकरी तलाशने वाले नहीं बल्कि उद्यमिता को अपनाकर रोजगार देने वाले बनने के लिए प्रेरित किया।

भारत द्वारा आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात राजस्व की तुलना दुनिया के शीर्ष तेल निर्यातक सऊदी अरब के साथ करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों द्वारा आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाओं का निर्यात पिछले वर्ष में 180 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जोकि सऊदी अरब द्वारा तेल की बिक्री से प्राप्त हो रहे 145 बिलियन अमेरिकी डॉलर के राजस्व से अधिक है। उन्होंने कहा कि भारत उद्यमिता, स्वदेशी और सहकारी आंदोलन की ओर बढ़ रहा है और युवाओं को ही इस आंदोलन को आगे बढ़ाना है।

स्टार्ट-अप के आंकड़े साझा करते हुए सतीश कुमार ने कहा कि भारत में अब तक 75 हजार स्टार्ट-अप को मान्यता दी गई है और हम दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्टार्ट-अप इकोसिस्टम बन रहे हैं जोकि नवाचार और उद्यमशीलता की भावना से प्रेरित है। भारत में, चीन और अमेरिका की तुलना में हर हफ्ते 40 से अधिक स्टार्ट-अप को मान्यता मिल रही है, जहां यह 18 से 25 के बीच है। इन रूझानों से पता चलता है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने विश्व उद्यमी दिवस पर छात्रों और उद्यमियों को बधाई दी और राष्ट्रव्यापी स्वावलम्बी भारत अभियान के माध्यम से स्वदेश जागरण मंच द्वारा की जा रही पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि युवाओं को केवल अपने रोजगार तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें दूसरों के लिए रोजगार पैदा करने की दिशा में काम करना चाहिए और देश के आर्थिक विकास में योगदान देना चाहिए। प्रो. तोमर ने छात्रों को उद्यमिता के लिए प्रेरित किया और उनसे हरित प्रौद्योगिकी के उभरते क्षेत्रों पर काम करने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम के दौरान उद्यमी पूर्व छात्रों ने विद्यार्थियों के साथ अपने अनुभव साझा किए और उन्हें अपने करियर के विकल्प के रूप में उद्यमिता को अपनाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दौरान 16 उद्यमी पूर्व छात्रों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डीन प्लेसमेंट, एलुमनाई एंड कॉरपोरेट अफेयर्स प्रो. विक्रम सिंह, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. लखविंदर सिंह, डायरेक्टर एलुमनी अफेयर्स डॉ. संजीव गोयल और विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

इससे पहले, सतेन्द्र सौरोत ने कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया कि स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना 1991 में दत्तोपंत ठेंगड़ी ने नागपुर में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर की थी। स्वदेशी जागरण मंच विगत तीन दशकों में आम जनता को स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल के प्रति जागरूक करने के अभियान में बेहद सफल रहा है। उन्होंने बताया कि स्वावलम्बी भारत अभियान के तहत पूरे देश में इस तरह के सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। यह कार्यक्रम 15 जुलाई, विश्व कौशल दिवस पर शुरू किया गया था और आज विश्व उद्यमी दिवस के अवसर पर संपन्न हुआ है। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 

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