फरीदाबाद : कभी-कभार किसी बात को भूल जाना या किसी चीज को कहीं रखकर भूल जाना आम बात है और इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं। लेकिन जीवनशैली में बदलाव के साथ भूलने की यह बीमारी बढ़ती जाती है। कुछ साल पहले बुजुर्गों को अपने चपेट में लेने वाली यह बीमारी आज युवाओं को तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। विश्व अल्जाइमर डे पर ग्रेटर फरीदाबाद स्थित एकॉर्ड अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग चैयरमैन डॉ. रोहित गुप्ता ने कहा कि इस बीमारी को अल्जाइमर कहते है। यह एक मानसिक बीमारी है जिससे न सिर्फ मरीज की याददाश्त कमजोर हो जाती है बल्कि उसके दिमाग पर भी इसका असर पड़ता है
और रोजमर्रा के कार्यों को करने में भी परेशानी महसूस होती है। डॉ. रोहित ने बताया कि हर साल विश्वभर में 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर डे मनाया जाता है। इस दिन को लोगों को जागरूक करने के उद्धेश्य से मनाया जाता है। दरअसल, अल्जाइमर एक ऐसी दिमागी बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे व्यक्ति की याद्दाश्त और सोचने की शक्ति कम होती रहती है। अल्जाइमर रोग का सबसे समान्य रूप डिमेंशिया है। अल्जाइमर को लेकर पहले लोगों के बीच यह धारणा थी कि यह बीमारी बुजुर्गों को होती है लेकिन अब इसकी चपेट में युवा भी आ रहे हैं। लोग इसे भूलने की आम बीमारी समझकर नजरअंदाज करने की गलती न करें। क्यों होती अल्जाइमर की बीमारी अल्जाइमर का खतरा मस्तिष्क में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने के कारण बढ़ता है। ये एक मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को खतरा
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित गुप्ता ने कहा की तुलना में महिलाओं को अल्जाइमर बीमारी का खतरा अधिक रहता है। डॉक्टरों के पास अल्जाइमर के इलाज के लिए आने वाले हर 10 मरीज में से 6 महिलाएं होती हैं। भारत अल्जाइमर रोग के मामले में दुनियाभर में तीसरे नंबर पर है। अल्जाइमर के मरीजों को दवाई के साथ-साथ थेरपी भी दी जाती है लेकिन उनकी देखभाल बेहद जरूरी होती है।
बीमारी के लक्षण
– नींद न आना
– चिंता, परेशानी
– सवालों का बार-बार दोहराना
– रोजमर्रा के कामों को करने में दिक्कत महसूस होना
– किसी काम में मन न लगना, फोकस करने में दिक्कत होना
– अपने परिवारवालों को न पहचाना
बचने के उपाय
अभी तक इस बीमारी का कोई सटीक इलाज डॉक्टरों को नहीं मिल पाया है, लेकिन अपनी जीवनशैली में बदलाव करके इस रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है।