मनोज सिन्हा होंगे जम्मू-कश्मीर के नए उप राज्यपाल, जीसी मुर्मू के इस्तीफे को राष्ट्रपति की मंजूरी

Spread This

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के नए उप राज्यपाल (एलजी) पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा होंगे। समाचार एजेंसी एएनआई ने जानकारी दी है कि जीसी मूर्मू के इस्तीफे को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वीकार कर लिया है और उन्होंने मनोज सिन्हा को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का नया उप राज्यपाल नियुक्त किया है।
दरअसल, बुधवार शाम को गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। मुर्मू ने ऐसे वक्त में इस्तीफा दिया है, जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक साल पूरे हुए। बता दें कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के साथ राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा गया था। मुर्मू ने 31 अक्तूबर 2019 को उप राज्यपाल पद की शपथ ली थी। मुर्मू के शासनकाल में कश्मीर शांति, स्थिरता और विकास की ओर तेजी से बढ़ा है। राज्य में आतंकवाद या पत्थरबाजी की घटनाओं में भारी कमी आई है।
कौन हैं मनोज सिन्हा
मनोज सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता हैं। मनोज सिन्हा पूर्व में गाजीपुर से सांसद रहे हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के बड़े चेहरे हैं।हालांकि, 2019 का लोकसभा चुनाव वो हार गए थे। यही वजह है कि इस बार उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी। हालांकि, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मनोज सिन्हा मंत्री रह चुके हैं और उनके पास रेलवे के राज्यमंत्री और संचार राज्यमंत्री का कार्यभार था।
कौन हैं मुर्मू
दरअसल, मुर्मू 1985 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अफसर रहे हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद अफसरों में माने जाते हैं। गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान वह उनके प्रमुख सचिव थे। एक मार्च 2019 से वह वित्त मंत्रालय में व्यय सचिव की जिम्मेदारी देख रहे थे। उन्होंने जम्मू कश्मीर के आखिरी राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बाद उप-राज्यपाल की जगह ली थी। 1985 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस ऑफिसर जीसी मुर्मू उस वक्त प्रिसिंपल सेक्रेटरी थे जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
मुर्मू का इस्तीफा उस दिन हुआ है जब जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छे 370 और आर्टिकल 35ए को खत्म किए हुए एक साल पूरा हुआ। पिछले साल 5 अगस्त के दिन ही जम्मू कश्मीर को दिए जाने वाले विशेष दर्जा को खत्म किया गया था। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो अलग हिस्सों मे बांटकर उसे केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया था।