भक्ष्य अभक्ष्य का ध्यान दें, आप मानव हैं पशु नहीं : स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य

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फरीदाबाद : श्री सिद्धदाता आश्रम में आज नामदान दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने सैकडों की संख्या में शिष्यों को दीक्षा प्रदान की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अब आप श्री रामानुज संप्रदाय में दीक्षित हो गए हैं। अब आपके ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है कि आप अपने जीवन में बदलाव के साक्षी बनें। दीक्षा के बाद लोगों की निगाह आपके अंदर पहले से अधिक ध्यान देगी। जिसके लिए आपको अपने भोजन की सादगी पर ध्यान देना होगा। आपको यह पता होना चाहिए कि आपके लिए क्या भक्ष्य है और क्या अभक्ष्य है क्योंकि आप मानव हैं, पशु नहीं हैं। स्वामीजी ने कहा कि आपको अपने जीवन में सकारात्मकता को अपनाना चाहिए। आपको प्राप्त मंत्र का जाप करना है और मानव मात्र की सेवा करनी है।

स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने कहा कि भगवान के नाम जप की सबसे अच्छी उम्र बचपन ही है जिसमें आपको भगवन्नाम औषधि को अपने जीवन में अपनाना चाहिए क्योंकि आपको पता नहीं है कि आपको जवानी अथवा बुढ़ापा देखने को मिलेगा भी कि नहीं। आपको भक्त प्रहलाद के जैसे अपने बचपन से ही भगवान की सेवा में लगना होगा। इसके लिए हमें अपने बच्चों को भी धार्मिक बनाना चाहिए क्योंकि आज के संस्कार ही उसके पूरे जीवन और जीवन के बाद काम आने वाला है।

 

उन्होंने यहां प्रात: ही पहुंचे भक्तों को दीक्षा की विधि में संलग्न किया और उन्हें यज्ञ, ताप , पुण्ड्र, यज्ञोपवीत और नाम देकर दीक्षा प्रदान की। इसके बाद सभी ने भगवान श्रीमन्नारायण के समक्ष दण्डवत होकर शरणागति ली। इस अवसर पर स्वामीजी ने सभी भक्तों की बाजुओं पर तप्त शंख चक्र लगाया और उनके कान में दीक्षा का मंत्र प्रदान किया। इसके बाद सभी ने प्रसाद, आशीर्वाद एवं भोजन प्रसाद प्राप्त कर प्रस्थान किया।