क्यूरियस जूनियर अपने छात्रों के लिए हाइपरलोकल और ग्लोबल इंस्पिरेशन बनाने के लिए क्यूरियस जूनियर कम्युनिटी लॉन्च करेगा
मामेंद्र कुमार शर्मा (संपादक डिस्कवरी न्यूज) नई दिल्ली : मोबाइल बेस्ड कोडिंग प्लेटफॉर्म क्यूरियस जूनियर ने अगले महीने अपने यूजर्स के लिए एक नया फीचर ‘क्यूरियस जूनियर कम्युनिटी लॉन्च करने की घोषणा की है। जिसमें यूजर्स को एक-दूसरे की क्रिएटिविटी से सीखने और एक-दूसरे को इंस्पायर करने का मौका मिलेगा। इसका उद्देश्य छात्रों को लोकल और ग्लोबल दोनों ही सोर्स प्रदान करते हुए स्टूडेंट्स को इंस्पायर करने का है, जिससे उन्हें उन सबजेक्ट्स की जानकारी मिलती रहे। जिनमें उनका इंट्रेस्ट हो और वे अपने दोस्तों की हेल्प करते हो। यह कम्युनिटी अलग-अलग सुविधाओं के साथ पेड तथा अनपेड दोनों ही मोड में अवेलेबल होगी। शुरुआत में कुछ स्कूलों में एक टेक्निकल ग्रुप बनाए जाएंगे ताकि इंट्रेस्टेड स्टूडेंट्स कोडिंग में अपने करियर की शुरुआत कर सकें, बाद के महीनों में इसे अन्य इंस्टीट्यूट में भी शुरू किया जाएगा। “क्यूरियस जूनियर कम्युनिटी” स्कूल लेवल पर टेक्निकल फिल्ड में इंट्रेस्ट रखने वाले स्टूडेन्ट्स को एक साथ लाने के लिए एक प्लैटफॉर्म प्रदान करेगा ताकि एक दूसरे के मास्टरपीस और क्रिएटिवीटी से ये एक दूसरे को इसपायर कर सकें।
क्यूरियस जूनियर के सह-संस्थापक मृदुल रंजन साहू ने कहा- “क्यूरियस जूनियर के माध्यम से हम हर दिन स्टूडेंट्स को कुछ नया सीखने और सिखाने के लिए इसपायर करते है। हमारी कोशिश है कि हम स्कूल स्टूडेंट्स के लिए एक ऐसा ईकोसिस्टम बनाएं, जहां उन्हें कोडिंग जैसे इंपॉर्टेंट सबजेक्ट की पूरी नॉलेज मिले। कोडिंग की मदद से आने वाले समय में स्टूडेंट्स को जॉब और एंटरप्रेन्योरशिप में काफी मदद मिलेगी और हम इस कम्यूनिटी के जरिए उस इकोसिस्टम में अपना योगदान देना चाहते हैं।” हाल ही में क्यूरियस जूनियर ने 6ठी से 12वीं क्लास तक के स्टूडेंट्स के बीच ऑल इंडिया कोडिंग चैंपियनशिप का आयोजन किया था। जिसमें करीब 25000 स्टूडेंट्स ने पार्टिसिपेट किया था।
इस प्रतियोगिता में केरल के एक 14 वर्षीय छात्र ने विजेता का खिताब अपने नाम किया था। क्यूरियस जूनियर ने लैपटॉप के बिना स्टूडेंट्स को मोबाइल पर कोडिंग सिखाने के आइडिया के साथ 2020 में शुरुआत की थी। भारत में कक्षा 12वीं तक के 88% स्टूडेंट्स के पास लैपटॉप या डेस्कटॉप उपलब्ध नहीं है ऐसे मैं कोडिंग जैसे कॉम्प्लिकेटेड सबजेक्ट को मोबाइल के छोटे डिस्प्ले पर अवेलेबल कराना कोडिंग में एक नए एरा की शुरुआत थी। नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में कोडिंग को स्कूली पाठ्यक्रम में एक कंपलसरी सबजेक्ट बनाने से कोडिंग की तरफ स्टूडेंट्स व पैरेंट दोनों की काफी रुझान बढी वहीं कोविड लॉकडाउन ने डिजिटल एडुकेशन के लिए आपदा में अवसर की तरह काम किया। जिससे बच्चों में कोडिंग के प्रति काफि इंट्रेस्ट देखा गया। क्यूरियस जूनियर में हिंदी इंग्लिश के साथ-साथ अन्य रिजनल भाषाओं में भी कोडिंग सिखाई जाती है ताकि वे बच्चे जिन्हें हिंदी या इंग्लिश नहीं आती है। वे कोडिंग सीखने से वंचित ना रह जाएं। साथ ही क्यूरियस जूनियर का उद्देश्य हर छोटे-बड़े शहरों में कोडिंग को स्टूडेंट्स के लिए अवेलेबल कराना है। प्रस्तुति : राम चंद्र यादव