कानपुर केस : विकास दुबे, शहीद सीओ और एसओ सहित कई लोगों के वायरल ऑडियो की होगी जांच, दस दिन में रिपोर्ट देगी लैब
कानपुर : कानपुर के बिकरू गांव में मारे गए आठ पुलिसकर्मियों के मामले में सबूत इकट्ठा करने में जुटी पुलिस अब वायरल की गई कॉल रिकार्डिंग्स को भी आधार बनाएगी। इसके लिए एक दर्जन कॉल रिकार्डिंग्स को फोरेंसिक लैब लखनऊ जांच के लिए भेजा गया है। इसमें जिनकी आवाजें हैं उसकी पुष्टि होने के सात ही पुलिस इसे सबूतों में शामिल करेगी। कॉल रिकॉर्डिंग्स की रिपोर्ट दस दिन में एसआईटी और वरिष्ठ अधिकारियों को सौंप दी जाएगी।
बिकरू कांड के बाद 10 जुलाई की सुबह जब कुख्यात विकास दुबे एनकाउंटर के दौरान ढेर हुआ। उसके बाद सोशल साइट्स पर कॉल वायरल होने का सिलसिला शुरू हो गया। पहले एनकाउंटर में मारे गए प्रेमप्रकाश पाण्डेय की बहू मनु पाण्डेय की कॉल रिकॉर्डिंग्स वायरल होने लगी। उसके बाद कथित विकास दुबे के नाम से। फिर पूर्व एसओ विनय तिवारी उसके बाद शहीद सीओ देवेन्द्र मिश्रा की कॉल्स वायरल हुई थी।
अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर से सामने आएगी सच्चाई
एफएसएल लैब के पास ऐसे अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर हैं जिससे कॉल में जो आवाज इस्तेमाल की गई है उसकी मैचिंग कराई कराई जा सकती है। इसके लिए पुलिस को रिकॉर्डिंग के साथ सैम्पल वाइस देनी होगी। वाइज टेस्ट रिपोर्ट के लिए लैब ने दस दिन का समय मांगा है। जिसके बाद वह रिपोर्ट सौंप देगी।
पूर्व डीआईजी ने एसआईटी के सामने दर्ज कराए बयान
बिकरू कांड की जांच कर रही एसआईटी के समक्ष सोमवार को पूर्व डीआईजी अनंत देव तिवारी ने बयान दर्ज कराए। घटना के बाद से वह सवालों के घेरे में थे। सनसनीखेज प्रकरण के बाद अनंतदेव पर गम्भीर आरोप लगे थे जिसके चलते एसटीएफ से उनका तबादला कर दिया गया था। पूर्व कप्तान ने बयान के अलावा एसआईटी को कुछ दस्तावेजी साक्ष्य भी उपलब्ध कराए हैं। बिकरू में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद एक रिपोर्ट वायरल हुई थी जो शहीद सीओ देवेन्द्र मिश्र ने चौबेपुर के निलंबित एसओ विनय तिवारी के खिलाफ अनंतदेव को व्हाट्सएप और ईमेल के जरिए भेजी थी। उस पर कार्रवाई होनी थी मगर कुछ नहीं किया गया। इस मामले की जांच के लिए आईजी रेंज लखनऊ को शासन ने भेजा। उन्होंने जांच रिपोर्ट में इस बात को स्वीकार किया कि रिपोर्ट सोशल मीडिया और ईमेल के जरिए भेजी गई थी मगर कार्रवाई नहीं की गई।
इसके बाद एक ऑडियो वायरल हुआ जिसमें शहीद सीओ और एसपी ग्रामीण की बातचीत थी। इसमें सीओ ने आरोप लगाया था कि पूर्व एसओ ने एक जुआ पकड़ने के मामले में पांच लाख रुपए पूर्व कप्तान को पहुंचा दिए जिसके कारण उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।