अभिनय के साथ गायकी में भी निपुण हैं मीनाक्षी श्रीवास्तव

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मामेंद्र कुमार शर्मा (संपादक डिस्कवरी न्यूज) मुंबई आज के दौर में फिल्म इंडस्ट्री प्रयोगात्मक दौर से गुज़र रही है वैसी स्थिति में नवोदित प्रतिभाओं को अपनी अभिनय कौशल को परिमार्जित किये वगैर शीर्ष पर पहुँचने की चाहत नहीं रखना चाहिए। यह कहना है अभिनेत्री और गायिका मीनाक्षी श्रीवास्तव का। मीनाक्षी का मानना है कि अपनी कलाकारी को तराशने के लिए आप जितनी मेहनत करेंगे यह आपके काम के लिए और आपके लिए सहायक होगा। मीनाक्षी फैजाबाद, उत्तरप्रदेश की रहने वाली हैं और उच्च शिक्षित हैं उन्होंने एमबीए की पढाई की है। बचपन से ही संगीत और अभिनय के प्रति उनकी लगन थी

मगर परिवार की खुशी के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई को पहला महत्व दिया। उन्होंने कई वर्षों तक नौकरी भी की मगर अपने सपने को साकार करने वह मुंबई आ गयी। उन्होंने संगीत, नृत्य और अभिनय की बारीकियों को अच्छे से जानने के लिए इसकी शिक्षा ली और अभिनय में कदम रखा। मीनाक्षी गायन के क्षेत्र में भी महारत हासिल कर चुकी हैं लगभग पैंतीस से अधिक शो में वह अपने गायन कला का जादू दिखा चुकी हैं। मिनिस्ट्री ऑफ माइनारीटी अफ़ेयर्स की ओर से आयोजित ‘हुनर हाट’ में इन्होंने गीत गाये हैं और वहीं से इन्हें गायन के क्षेत्र में कई ऑफर मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के हाथों इन्हें सम्मान भी प्राप्त हुआ है। अपनी कौशल और योग्यता को तराशने के लिए मीनाक्षी बहुत मेहनत करती है।

 

अभिनेत्री रेखा और दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन इनके पसंदीदा कलाकार है। दक्षिण भारतीय कलाकार प्रभास, तृषा और कई उम्दा कलाकार मीनाक्षी को पसंद है। मीनाक्षी का मानना है कि हर इंसान के जीवन में कई उतार चढ़ाव आते हैं, यह सबके साथ होता है इसलिए अपनी समस्याओं में ना उलझकर प्रसन्न रहना चाहिए और स्वयं को सफल बनाने का प्रयास करते रहना चाहिए। स्वभाव से मीनाक्षी चंचल और लगनशील है। अभिनय के क्षेत्र में वह अलग अलग किरदार निभाना चाहती हैं। वह चरित्र और सशक्त भूमिका निभाना चाहती है। मीनाक्षी का कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री में यदि आप अपने सपने पूरे करने की चाह रखते हैं, तो पहले अपने आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाये, संयम राखे और फिर स्वयं की मेहनत से अपने को योग्य बनाये उसके पश्चात अपना सपना पूरा करें। क्योंकि आर्थिक कमी आपके सपनों को उड़ान देने में बाधक सिद्ध हो सकती है। प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय