प्रोटेक्शन की अपील को कोर्ट ने किया खारिज, नूंह हिंसा मामले में मामन खान को हाईकोर्ट से नहीं मिली कोई राहत
नूंह हिंसा मामले में हरियाणा के फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस विधायक मामन खान की याचिका पर आज हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान खान को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामन खान को अगर गिरफ्तारी से बचना है तो अग्रिम जमानत के लिए निचली अदालत जाना होगा।
कोर्ट ने साफ कर दिया कि नूह हिंसा मामले की एसआईटी जांच कर रही है। अगर वो मामन खान से कोई पूछताछ करना चाहती है तो वह कर सकती है, इसमें कोई रोक नही होंगी। वहीं मामन खान की ओर से प्रोटेक्शन को लेकर की गई अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की तरफ से पेश हुए वकील एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक सभरवाल ने कहा कि नूंह हिंसा में जो आरोपी पकड़े गए हैं, उन्होंने जांच के दौरान पुलिस के सामने मामन खान का नाम लिया है।
एडवोकेट जनरल ने कहा कि याचिका में मामन खान ने जो कहा है कि वह 26 जुलाई से लेकर 1 अगस्त तक नूंह में मौजूद नहीं थे, वह सरासर झूठ है। क्योंकि हमारे पास जो सबूत हैं जैसे टावर लोकेशन, व्हाट्सएप चैट, उससे साफ पता चलता है कि वह नूंह के आसपास ही मौजूद थे। खासतौर पर नूंह में जहां घटना हुई उससे डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर थे। यह साफ तौर पर मामन खान के सुरक्षाकर्मियों का भी कहना है। नूह हिंसा मामले की पूरी जांच नूंह एसपी की अध्यक्षता में बनाई गई एसआईटी द्वारा की जा रही है। अब इस एसआईटी की वीकली रिपोर्ट की जांच साउथ रेंज के रेवाड़ी के आईजी भी करेंगे। वहीं मामले की सुनवाई अब कोर्ट की तरफ से 19 अक्तूबर के लिये तय की गई है। जिसमें हरियाणा सरकार को बताना होगा कि नूह हिंसा की जांच वरिष्ठ अधिकारियों की देख रेख में हो रही है या नहीं।
बता दें कि नूंह हिंसा मामले में पुलिस की तरफ़ से जांच में शामिल होने के लिये हरियाणा के फ़िरोज़पुर झिरका से विधायक मामन को दो बार नोटिस भेजा जा चुका है, लेकिन वो जांच में शामिल नहीं हुए थे। मामन खान ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का रूख कर याचिका दायर कर यह मांग की कि नूंह में हिंसा की घटनाओं से संबंधित मामले, जिसमें उन्हें पुलिस द्वारा नोटिस दिया गया था, एसआईटी को स्थानांतरित कर दिए जाएं। अपनी याचिका में मामन खान ने अनुरोध किया कि हरियाणा पुलिस को निर्देश दिए जाएं कि वह जांच लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें। फिलहाल हाईकोर्ट ने मामन खान को कोई राहत नहीं दी है।
NEWS SOURCE : punjabkesari