संस्कारों से संस्कृति विकसित करें विद्यार्थी – डॉ. राज नेहरू

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Mamendra kumar (CHIEF EDITOR DISCOVERY NEWS 24) फरीदाबाद : श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के महिला छात्रावास हिमाद्री भवन और पुरुष छात्रावास कैलाश भवन में शनिवार को हवन का आयोजन किया गया। दोनों छात्रावासों के शुभारंभ पर कुलपति डॉ. राज नेहरू ने मुख्य यजमान के रूप में आहुतियां डाली और विद्यार्थियों को मंगलकामनाएं दी। यह दोनों छात्रवास 500-500 बेड की क्षमता के हैं और अत्याधुनिक स्थापत्य कला से इनका निर्माण हुआ है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने इस मौके पर विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि अपने संस्कारों से उन्हें छात्रावासों की संस्कृति को विकसित करना है।

उन्होंने कहा कि छात्रावासों में अनुशासन जरूरी है। यहां रह कर विद्यार्थी के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में कुछ भी करने से पहले अपने एक्शन को नैतिकता और सामाजिकता की कसौटी पर कस कर देखें। किसी भी सूरत अपयश नहीं होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि आप सब हमारे बच्चों के समान हैं और आपको किसी तरह की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने छात्रावास में डिजिटल लाइब्रेरी से लेकर तमाम अन्य सुविधाएं मुहैया करवाने की बात भी कही। सुंदर छात्रावासों के निर्माण और उन्हें विद्यार्थियों को समर्पित करने पर कुलपति डॉ. राज नेहरू ने पूरी टीम को बधाई दी।

मुख्य छात्रपाल प्रोफेसर ऋषिपाल ने इस मौके पर सबके प्रति साधुवाद जताया और कुलपति डॉ. राज नेहरू के हाथों मौलश्री का पौधा रोपित करवाया। महिला वार्डन के रूप में डॉ. भावना रूपराय और पुरुष छात्रपाल के रूप में डॉ. मोहित श्रीवास्तव ने आभार ज्ञापित किया।
इस अवसर पर डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर आर एस राठौड़, प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव, प्रोफेसर प्रिया सोमैया, प्रोफेसर जॉय कुरियाकोजे, प्रोफेसर ए के वातल, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ. सविता शर्मा, डॉ. संजय राठौर, डॉ. प्रीति, उप कुलसचिव डॉ. ललित शर्मा, एसडीओ नरेश संधू, ओएसडी संजीव तायल, विधि अधिकारी केशव शर्मा, हिंदी अधिकारी भूपेंद्र प्रताप सिंह, सहायक उप निदेशक विनोद कुमार, डॉ. तेजेंद्र सिंह, होस्टल सुपरवाइजर डॉ. सोनिया शर्मा, सुपरवाइजर सतीश बुधवार, ज्योति नैन, स्टाफ नर्स ज्योति के अलावा काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे। छात्राओं ने सुरीले भजन गाकर और भावपूरित होकर सबसे आशीष प्राप्त किए।