अब CBI करेगी जांच, नपेंगे बागबानी विभाग के कई अफसर, हरियाणा में FPO ग्रांट में करोड़ों का घोटाला

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हरियाणा में किसानों को फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफ.पी.ओ.) की अनुदान राशि बांटने में करोड़ों रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है। इस मामले में बीते वर्ष मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कड़े तेवर के बाद बागवानी विभाग के करीब एक दर्जन छोटे- बड़े अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। लेकिन केंद्र सरकार इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है, क्योंकि यह स्कीम केंद्र की है और उसके पास पुख्ता सबूतों के साथ घोटाले की शिकायत पहुंची है। लिहाजा अब केंद्र सरकार ने हरियाणा सरकार को पत्र लिख कर मामले की सी.बी.आई. से जांच करवाने के लिए सहमति मांगी है।

सरकार ने अप्रत्यक्ष तौर से सहमति भी दे दी है जहां अगले सप्ताह तक फाइलों में भी केंद्र सरकार को सहमति पत्र भेज दिया जाएगा। केंद्र सरकार की इस सख्ती से अब हरियाणा बागवानी विभाग के अफसरों के अलावा कुछ फर्म मालिकों की नींद उड़ गई है। सूत्रों की मानें तो इस घोटाले में विभाग के कई बड़े अफसर लपेटे में आएंगे।

इस तरह से चलती है प्रक्रिया

दरअसल बागवानी विभाग द्वारा किसानों को पानी बचाने के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक से सिंचाई करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सरकार किसानों को ड्रिप इरिगेशन पर 85 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। योजना से जुड़ने वाले किसान को विभाग की वैबसाइट पर ऑनलाइन फार्म अप्लाई करना होता है और पटवारी से मिली जमीन की रिपोर्ट को भी खुद ही अपलोड करना होता है।

अपलोड करने के बाद बागवानी विभाग द्वारा ड्रिप कंपनी का इंजीनियर, बागवानी विभाग के दो अधिकारी व आवेदनकर्ता किसान की एक कमेटी गठित की जाती है, जो कि किसान द्वारा किए गए आवेदन के अनुसार वस्तुस्थिति का भौतिक निरीक्षण करती है। इस कमेटी में रैवेन्यू विभाग को शामिल नहीं किया जाता है। भौतिक निरीक्षण के बाद बागवानी विभाग द्वारा इसकी सूचना चंडीगढ़ मुख्यालय को भेजी जाती है, जिसके आधार पर किसान के खाते में अनुदान राशि भेजी जाती है।  पटवारी की असल रिपोर्ट जमा न होने से होती रही गड़बड़ी शिकायत में बताया गया कि गत वर्ष मंढोली कलां गांव में उजागर हुई। गड़बड़ी के बाद अगर अन्य ड्रिप इरिगेशन अनुदान राशि की जांच की जाए तो और भी गड़बड़ी सामने आ सकती है। मामले में यह बात सामने आई है कि पटवारी किसान को जमीन की पैमाइश की जो रिपोर्ट देता है। वह केवल विभाग की वैबसाइट पर अपलोड ही की जाती है। उसकी कॉपी न तो हॉर्टिकल्चर विभाग के पास जमा होती है और न ही इसका पटवारी के पास कॉपी देने के बाद कोई रिकॉर्ड रखा जाता है। इसके अलावा आवेदन मिलने के बाद भौतिक निरीक्षण के लिए जो कमेटी बनती है उसमें भी पटवारी को शामिल नहीं किया जाता है। जिसकी वजह से किसान द्वारा अपलोड की गई पटवारी की रिपोर्ट व भौतिक निरीक्षण कमेटी की रिपोर्ट को आधार मान कर ही राशि जारी कर दी जाती है।

गड़बड़ी की शिकायत पर की थी कार्रवाई

गौरतलब है कि अनुदान राशि में गड़बड़ी की शिकायत सामने आने पर गत वर्ष मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेशों पर बागवानी विभाग के 10 अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया गया था। इसमें बागवानी विभाग के 4 अधिकारियों को सस्पैंड करने के साथ ही रूल 7 के तहत 4 अफसरों को चार्जशीट किया गया था। वहीं रूल 8 के तहत 6 सीनियर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी।

एफ.पी.ओ. की अनुदान राशि नहीं करवाई थी किसानों के खाते में जमा

केंद्र सरकार के पास जो शिकायत पहुंची है उसमें आरोप लगाया गया है कि इन अधिकारियों ने एफ.पी. ओ. के नाम पर मंजूर होने वाली अनुदान राशि किसानों के खाते में जमा ही नहीं करवाई। बताया गया कि उक्त शिकायत जब हरियाणा सरकार के पास पहुंची तो मुख्यमंत्री ने मामले की गुप्तचर विभाग से जांच करवाई थी जिसमें जांच के बाद भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था। उसके बाद ही सरकार ने अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की।

NEWS SOURCE :punjabkesari