लगातार लिए जा रहे बड़े फैंसले, अनिल विज देना चाहते हैं प्रदेशवासियों को सस्ता और बिना नुकसान वाला उपचार

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चंडीगढ़ : देश की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों के लगातार सुदृढ़ीकरण को लेकर प्रदेश के आयुष मंत्री अनिल विज लगातार कई बड़े फैसले ले रहे हैं। लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला लिया गया है। प्रदेश सरकार जल्द आयुष विभाग में श्रेणी दो एवं राजपत्रित पद एएमओ को हरियाणा कौशल रोजगार नियम के तहत भर्ती करने जा रही है। एचकेआरएन के तहत भर्ती होने वाले यह 565 एएमओ जल्द ही लोगों की सेवाओं में उपस्थित नजर आएंगे। आयुष विभाग द्वारा यह मांग पत्र प्रदेश के आयुष मंत्री अनिल विज के पास भेजा गया था। जिसका निरीक्षण करने के बाद इसकी आवश्यकता समझते हुए जल्द सभी औपचारिकताएं पूरी की गई। विभाग जल्द इन रिक्त 565 पदों को विज्ञप्ति करवाकर योग्य उम्मीदवारों की सिफारिश करने हेतु अपनी अन्य औपचारिकताएं पूरी करेगा। इस भर्ती के बाद विभाग को ओर अधिक बल मिलेगा तथा जनता को अच्छी सुविधा मुहैया हो पाएंगी।

बता दें कि प्रदेश के आयुष मंत्री लगातार पुरानी चिकित्सा पद्धतियों को फिर से उनका पुराना रुतबा दिलवाने को लेकर कदमदर कदम आगे बढ़ रहे हैं। हाल ही में विभाग द्वारा 22 आयुष योग निरीक्षकों की भी भर्ती का बड़ा फैसला लिया गया है जोकि हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत भर्ती किए जाएंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा भी इस भर्ती को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। विभाग द्वारा इस नियुक्ति को लेकर हरियाणा राज्य कर्मचारी चयन आयोग को सिफारिश भेजने की प्रक्रिया पुरी की गई।

इसके साथ-साथ आयुष विभाग द्वारा प्रदेशभर में 3 आयुर्वेदिक अस्पताल, 1 यूनानी अस्पताल, 6 आयुर्वेदिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 6 पंचकर्मा केंद्र, 515 आयुर्वेदिक, 19 यूनानी और 26 होम्योपैथिक औषधालय तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 21 जिला अस्पतालों- 98 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा 109 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष ओपीडी शुरू की जा चुकी है। मंत्री विज के प्रयासों के बाद 2014-15 में आयुष विभाग का जो बजट 126.12 करोड़ था वह 2023-24 में 448.50 करोड़ हो पाया जो ओपीडी 2014-15 में 31.89 लाख थी उसमें 93.94 फ़ीसदी की बढ़ोतरी के साथ वह 61.86 लाख हो चुकी है। लगातार आयुष प्रणाली व उसमें मिलने वाली सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए एक बड़ी योजना विभाग द्वारा तैयार की गई है।

एलोपैथी से पिछड़ने के क्या है मूल कारण, लगातार चल रहा है इस पर मंथन

आयुष मंत्री विभाग को लेकर बेहद गंभीर है। क्योंकि वह प्रदेश के हर व्यक्ति को सस्ती और शरीर के लिए किसी प्रकार से भी नुकसानदायक ना साबित होने वाली चिकित्सा पद्धति देने के लिए प्रयासरत है और वह लगातार इस मामले में बड़े फैसले लेते नजर आ रहे हैं। आयुष विभाग में बेशक दुनिया की प्राचीनतम भारतीय चिकित्सा पद्धतियां सम्मिलित हो, लेकिन सभी मिलकर भी आज एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से बहुत पीछे नजर आ रही है। कारण कई थे, लेकिन बहुत सी सरकार है आई हो गई, बहुत से आयुष मंत्री बने और गए लेकिन किसी ने भी इस महत्वपूर्ण विषय पर कभी गंभीरता से ध्यान ही नहीं दिया था। आयुष मंत्री अनिल विज ने इस बात को गंभीरता से समझा कि आखिर प्राचीनतम पद्धतियां क्यों एलोपैथिक प्रणाली का मुकाबला नहीं कर पा रहीं, उसके बाद उन्होंने संजीदगी से इसमे कार्य किए।

जानकारों के अनुसार इसके मुख्यतः तीन कारण हैं। पहला इन संस्थाओं का हेरारकी (वर्गीकरण) का ना होना, दूसरा आयुष खंडो में शल्य चिकित्सा का ना होना, तीसरा हमारे आयुष चिकित्सकों में हीन भावना और इच्छा शक्ति की कमी का होना। एलोपैथी सिस्टम ऑफ मेडिसियन में डब्ल्यू एच ओ ने संस्थाओं की एक हेरारकी स्थापित की हुई है जो जनसंख्या एवं दूरी बेस पर आधारित है। चिकित्सा संस्थानों की सबसे छोटी इकाई को उपकेंद्र (सब सेंटर) उसके बाद बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, फिर सामुदायिक चिकित्सा केंद्र, फिर उपमंडल चिकित्सा संस्थान तथा जिला स्तर पर जिला अस्पताल के बाद सुपर स्पेशलिटी चिकित्सा के लिए मेडिकल कॉलेज व पीजीआई है। यानि समझने लायक बात यह है कि जल्द विभाग में और भी कई बड़े बदलाव और सुधार देखे जा सकते हैं।

NEWS SOURCE : punjabkesari