श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सिखा रहा मुनाफे की खेती

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पलवल: एक आइडिया इंसान की जिन्दगी बदल देता है। बशर्ते उस आइडिया पर काम किया जाए और हौसला देने वाला पीठ थपथपाता रहे। ऐसे ही बदल गई डाड़ौता गांव के युवक चंद्रशेखर की जिन्दगी। चंद्रशेखर ने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में बी. वॉक एग्रीकल्चर में दाखिला लिया तो उसे आइडिया आया, क्यों न अपने खेतों में जैविक सब्जियां उगाई जाएं। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने उसे प्रोत्साहित किया और पढ़ाई के दौरान ऑन द जॉब ट्रेनिंग के लिए शिवांश फार्मिंग में भेज दिया। चंद्रशेखर के जीवन में यह टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। आज चंद्रशेखर उसी कम्पनी को अपनी ऑर्गेनिक सब्जियां व अन्य उत्पाद सप्लाई करता है। एक एकड़ से सलाना वह 8 लाख ₹ से ज्यादा की सब्जियां बेचता है। खेती से मुंह मोड़ते जा रहे युवाओं के लिए चंद्रशेखर अब प्रेरक बन गया है।

चंद्रशेखर ने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशक बनाने के तौर तरीके सीखे और जैविक सब्जियों की मार्केटिंग के गुर भी सीखने को मिले। इसके चलते उसने उपभोक्ताओं की जरूरत तथा बाजार की नब्ज को समझा। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ऑन द जॉब ट्रेनिंग कराई जाती है। इसी ट्रेनिंग के लिए चंद्रशेखर को विश्वविद्यालय की ओर से शिवांश फार्मिंग भेजा गया, जहां उसने प्राकृतिक खेती के उत्पादन और इसकी मार्केटिंग के महत्व को समझा। ऑन द जॉब ट्रेनिंग के बाद चंद्रशेखर ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब गुरुग्राम में ही चंद्रशेखर की ऑर्गेनिक सब्जियों की इतनी खपत हो जाती है कि इसका उत्पादन हाथों हाथ उठ जाता है। शिवांश फार्मिंग ही उससे सारा उत्पादन खरीदती है।

ना उसको मंडी में माल बेचने जाना पड़ता है और ना ही भुगतान के लिए इंतजार करना पड़ता है। नकदी फसलों की खेती कर चंद्रशेखर एक मुनाफेदार किसान बन गया है। उसका कहना है कि यदि वह श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के बी. वॉक एग्रीकल्चर में दाखिला ने लेता और ऑन द जॉब ट्रेनिंग ना करता तो शायद उसकी जिंदगी ऐसे ना बदलती। वह इसका श्रेय कुलपति डॉ. राज नेहरू को देता है। चंद्रशेखर का कहना है कि मुझे कुलपति डॉ. राज नेहरू ने हमेशा से एंटरप्रेन्योर बनने के लिए प्रेरित किया। इसी का नतीजा है कि मैं एक एकड़ में मुनाफे की खेती का मॉडल खड़ा करने में कामयाब हो पाया। चंद्रशेखर ने बताया कि उसने गुणवत्तापरक सब्जियों का उत्पादन शुरू किया।

एक एकड़ में वह मिश्रित खेती करता है एक ही समय में कई-कई फैसलें तैयार होती हैं। उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए जुनून के साथ काम कर रहे श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू स्वयं चंद्रशेखर के फार्म का अवलोकन करने डाड़ौता पहुंचे और कुछ नए आइडिया पर काम करने के लिए सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि कृषि एक सम्मानजनक व्यवसाय है और इसे पेशेवर तरीके से किए जाने पर अच्छी कमाई की जा सकती है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि युवाओं को कृषि क्षेत्र में स्वावलंबी और उद्यमी बनाने के उद्देश्य ही बी. वॉक और एम. वॉक एग्रीकल्चर प्रोग्राम शुरू किया है।

कुलपति डॉ. राज नेहरू ने डाड़ौता गांव के सरपंच रामकिशन, चंद्रशेखर के पिता श्याम दत्त, धर्मपाल, ओमदत्त और चेतन प्रकाश सहित कई ग्रामीणों के साथ चर्चा की और गांव में चंद्रशेखर की तर्ज पर जैविक खेती के लिए युवाओं को तैयार करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बी. वॉक और एम. वॉक एग्रीकल्चर प्रोग्राम में युवाओं को हम तैयार करेंगे। बाकायदा ऑन द जॉब ट्रेनिंग के माध्यम से उन्हें बड़ी कंपनियों के साथ भी जोड़ा जाएगा। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि हम युवाओं को मुनाफे की खेती का अनुपम मॉडल देने के लिए तैयार हैं।