कब तक खेला जाएगा एक वोटर की भावना से, कब तक चलेगा चुनावी के खेल
MAMENDRA KUMAR (CHIEF EDITOR DISCOVERY NEWS 24) दिल्ली : चुनावों की तारीखें घोषित होंगी। नामाकन भरे जायेंगे। गली-गली शोर मचेगा। “रेलिया होगी। दारू बटेगी। रुपये बाँटे जायेंगे। घर-घर नेता चक्कर लगायेंगे। झूठे-नेता बड़े बड़े झूठे वादे करेंगे। और फिर चुनाव में बोट डालने का दिन आ जायेगा। धूप में, बारिश में, फटे जूते-चप्पल पहने लोग लम्बी-लम्बी लाइन में लग कर वोट डालेंगे। औरते लाईन में खड़ी खड़ी अपनी – अपनी सास की बुराई करेंगी, जो पहली बार वोट डालेंगे वो EVM के बारे में बाते करेंगे। और युवा वर्ग अपनी दोस्त के बारे में बातें करेंगे। बूढे लोग भी गुजरे जमाने की बोत करेंगे। 1
डाक्टर, इंजीनियर, चार्टड एकाउन्टेन्ट नौकरी पेशे वाले सरकारी और प्राईवेट धन्धे वाले भी वोट डालेगे फिर वोटिंग समय समाप्त हो जायेगा लोग अपने-अपने घर चले जायेंगे। कुछ दिनों में नतीजे आ जायेंगे। कोई जीतेगा कोई हारेगा। जीतने वाली पार्टी के दफ्तर में जश्न मनेगा हारने वाले अपनी किस्मत का रोना रोयेगें। फिर सरकार बनाने के चरचे शुरू। अब असली खेल शुरू होगा जिस को टिकट नहीं मिलेगा वो दूसरी पार्टी की तरफ जायेगा और अपनी पहले वाली पार्टी की बुराई करेगा । जोड़-तोड़ की राजनीति शुरु होगी जो लम्बी चलेगी।
दोस्तों, सरकार से प्रार्थता है, सुपीम कोर्ट से गुजारिश है अगर कोई पार्टी बदलता है तो वो अपने इलाके के हर वोटर को मुआवजा दे । क्या वोटर पागल है जो धूप, बारिश की परवाह किये बिना लाइन में धक्के मुक्के के बीच वोट देने गये थे ? क्या पढ़े लिखे लोगों के वोट की कीमत नहीं है। लोग जिस पार्टी को वोट डाले और उस पार्टी का कोई नेता पार्टी बदल ले तो ये सरासर अन्याय नहीं है? पार्टी बदलने वाला बिना पैसा लिये पार्टी नहीं बदल सकता। इसलिये वोटर को मुआवजा मिलना चाहिये ।
अगर हो सके तो पार्टी बदलने वाले नेता के इलाके का चुनाव कैंसल कराकर नये नेता को चुनाव में उतारा जाये। दोस्तो. बात छोटी नहीं है। हमारे वोट का मजाक नहीं बनना चाहिये। हमारे वोट की कीमत अदा होनी चाहिये । जो नेता पार्टी बदलता है उसे दोषी बताकर चुनाव लडने से वंचित किया जाना चाहिये। चुनाव से पहले कोई भी पार्टी बदल सकता है बाद में इसकी मनाही होनी चाहिये । दोस्तों, मेरी आवाज जहाँ तक आप पहुंचा सकते हैं पहुंचाइए ।
प्रस्तुति : चांद पी मेहरा