काश्मीर हमारा है

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MAMENDRA KUMAR (CHIEF EDITOR DISCOVERY NEWS 24) : साथियों पाकिस्तान में कोई भी सत्ता सम्भाले काश्मीर का आलाप करना नहीं छोड़‌ता। अभी ताजा हकूमत ने भी इसी बात का रोना रोया है। मैं अपनी छोटी सी कविता के बलबूते पाकिस्तान को बताना चाहता हूँ कि वो किसी भी तरह रोये काश्मीर उसके दामन में नहीं आयेगा। कविता अगर पसन्द आये तो अन्त में खड़े होकर जय हिन्द बोलना न भूलें:

एक बार मुझे नमाज अदा करने की सूझी
आप कह सकते हैं अन्धे को अंधेरे में बड़ी दूर की सूझी

जुम्मे के दिन नमाज पढ़‌कर जैसे ही बाहर निकला मेरे होश उड़े थे
क्योंकि मेरे सामने साक्षात खुदा खड़े थे

खुदा बोले तेरी नमाज अदा करने की अदा भा गई
इसलिये सब काम छोड़कर ये खुदाई तेरे पास आ गई

आज हम और तुम एक खेल खेलेंगे
तुम हमसे कुछ ले लेना हम तुमसे कुछ ले लेंगे

खुदा बोले – अपना काश्मीर मुझे दे दो मैं बोला ये आपने क्या मांग लिया मैं अपने देश वासियों को क्या मुँह दिखाऊंगा

खुदा बोले दो या ना दो मैंने जो माँगना था मांग लिया

मैंने कहा खुदा जी हिन्दुस्तानी कहीं भी हो हिन्दुस्तानी रहता है क्योंकि उसकी नसों में पानी नहीं हिन्दुस्तानी खून बहता है.

जाओ काश्मीर तुम्हें दिया ।

खुदा बोले शुक्रिया। खुदा जी ने तुरन्त फोन उठाया, पाक हकूमत, मिलिट्री और आवाम को बताया ।

मैं काश्मीर लेकर आ रहा हूँ जश्न के लिये तैयार रहो ।

फिर खुदा ने कहा – माँगो क्या मांगते हो।

मैंने कहा- मेरा काश्मीर मुझे वापिस दे दो खुदा बोले में पाक को क्या मुँह दिखाऊँगा

मैं बोला ये आपकी हेडक है , जो माँगना था मांग लिया अब दो या ना दो आपकी मर्जी है।

खुदा बोले तू बन्दा होकर अपने वादे से नहीं मुकरा तो मैं खुदा होकर कैसे मुकर सकता हूँ

जा काश्मीर दिया
आज एक सबक लिया

पाकिस्तान को समझाऊंगा काश्मीर लेने की जिद छोड़ दो वरना बहुत पछताओगे मैं खुदा होकर एक हिन्दुस्तानी से कश्मीर नहीं ले सका तुम सौ करोड हिन्दुस्तानियों से कभी काश्मीर नहीं ले पा आओगे जय हिन्द, हिन्दुस्तान जिन्दाबाद था, जिन्दाबाद है, जिन्दाबाद रहेगा

प्रस्तुत करता: चाँद पी० मेहरा