ब्रह्मोत्सव पर्व के तीसरे दिन भगवान का विवाह उत्सव
Faridabad: सूरजकुंड रोड स्थित श्री सिद्धदाता आश्रम एवं श्री लक्ष्मी नारायण दिव्य धाम में चल रहे पांच दिवसीय ब्रह्मोत्सव पर्व के तीसरे दिन आज भगवान श्री लक्ष्मीनारायण के विवाह उत्सव में बड़ी संख्या में भक्तों ने भागीदारी की। इस अवसर पर अशरफी भवन (अयोध्या) के पीठाधिपति श्रीमद् जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री श्रीधराचार्य जी महाराज और आरा (बिहार) से पधारे श्रीमद् जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री ज्योति नारायणाचार्य जी महाराज ने भी श्री सिद्धदाता आश्रम एवं श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम के वर्तमान आचार्य श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज के साथ इस आयोजन में भागीदारी की।
स्वामी श्रीधराचार्य ने बताया कि भगवान के विवाह उत्सव को कल्याण उत्सव का नाम दिया जाता है। भगवान के विवाह में शामिल होना भक्तों के लिए हितकारी कल्याणकारी तो है ही साथ में परम प्रेम का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि जब हम अपने किसी परिजन के विवाह में शामिल होते हैं तो हम बड़े हर्ष में होते हैं, ऐसे में जगत के नीति नियंता के विवाह में शामिल होना अतिरिक्त हर्ष का विषय होता है। इस अवसर पर स्वामी ज्योति नारायणाचार्य ने बताया कि श्री सिद्धदाता आश्रम में आयोजित होने वाले ब्रह्मोत्सव की अलग ही विशिष्ट पहचान रही है। हम अनेक वर्षों से इस ब्रह्मोत्सव में सम्मिलित होकर हर्ष का अनुभव करते रहे हैं। यहां स्वामी पुरुषोत्तमाचार्यजी महाराज के भक्तों में विशेष जोश एवं उल्लास देखा जाता है जो इस स्थान से जुड़े लोगों की समृद्धि की कहानी कहता है।
स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा कि वह आश्रम एवं दिव्य धाम मंदिर के संस्थापक बैकुंठवासी गुरु महाराज की शिक्षाओं को जनता तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं जिसमें भक्तगण बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हैं। इसी से इतना सुंदर आयोजन होते हैं। उन्होंने सभी से 14 मई के आयोजन में अवश्य ही भागीदारी करने की बात कही। आज श्री रामानुज स्वामी की जयंती होने से शाम को विशाल शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें हजारों की संख्या महिलाओं ने सिर पर कलश उठाए। बता दें कि रामानुजाचार्य के मत को मानने वाला यह आश्रम लाखों लोगों की आस्थाओं का केंद्र है। इस शोभायात्रा में विशाल रथ में सवार रामानुज स्वामी जी की दिव्य मूर्ति के साथ ढोल बाजे और पटकाओं के साथ झूमते भक्त शामिल रहे। यहां 14 मई को ब्रह्मोत्सव के समापन अवसर पर दिव्य भजन सत्संग के कार्यक्रम होंगे। वहीं हजारों महिलाओं के साथ विशाल शोभा यात्रा भी निकलेगी। बता दें कि यह ब्रह्मोत्सव वर्ष 2007 की स्थापना के बाद से हर वर्ष आयोजित किया जाता है, जिसमें देश-विदेश से बड़ी संख्या में भक्तगण भागीदारी करते हैं।