खुलेआम रेहड़ियों पर बिक रही शराब, अब ‘लालपरी’ के लिए ठेके पर जाने की जरूरत नहीं
गुहला चीका : चीका अनाज मंडी में चलता-फिरता मयखाना खुल जाने से शराब पीने वालों को अब लालपरी के लिए ठेके पर जाने की जरूरत नहीं है क्योकि उनकी उक्त जरूरत मंडी में रेहड़ी पर खुले रूप से शराब बेचने वाले लोगों द्वारा पूरी की जाती है।
जानकारी के अनुसार अनाज मंडी चीका में धान व गेहूं के सीजन के दौरान कुछ लोगों द्वारा रेहड़ियों पर अवैध रूप से शराब बेची जाती है, जिसके बारे में हर सीजन के दौरान आढ़तियों द्वारा इन्हें बंद करवाने बारे गुहला प्रशासन व पुलिस को अवगत करवाया जाता है, जिसके पश्चात प्रशासन व पुलिस द्वारा उक्त धंधा एक बार तो बंद करवा दिया जाता है। अवैध धंधा करने वाले लोगों के हौंसले इतने बुलंद है कि वे 1-2 दिन के बाद फिर प्रशासन व पुलिस को ठेंगा दिखाकर अपना उक्त अवैध शराब बेचने का धंधा शुरू कर देते है। अभी तक तो शहरों, गांवों व गलियों में अवैध रूप से खुले खुर्दों की बात तो आम सुनी जाती थी। परंतु अब इस व्यवसाय से जुड़े कुछ लोगों ने उस समय हद पार कर दी, जब उन्होंने सरेआम रेहड़ी पर शराब का मटका रख लिया और रेहड़ी पर ही सरेआम शराब की बोतलें रखकर कभी यहां तो कभी वहां शराब बेचनी शुरू कर दी।
नाबालिग बच्चों से भी करवाया जा रहा धंधा
मजे की बात तो यह है कि जो व्यक्ति उक्त धंधे को अंजाम दे रहे है, उनके द्वारा यह कार्य नाबालिग बच्चों से भी करवाया जा रहा है, जोकि सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाने वाली बात है। लोग इस प्रकार सरेआम चलते-फिरते मयखाने खोलकर आम आदमी को शराबी बनाने का कार्य कर रहे हैं।उक्त मयखानों में मुख्य रूप से देसी शराब ही बेची जाती है। परन्तु अनाज मंडी जैसे व्यापारिक स्थल पर यदि कोई धनाढ्य व्यापारी या किसान मयखाने चलाने वाले से अंग्रेजी शराब के किसी अच्छे ब्रांड की मांग करे, तो पलक झपकते ही उसे उक्त ब्रांड की शराब भी उपलब्ध करवा दी जाती है। इतना ही नहीं उक्त मयखानों पर खुदरा रूप से भी शराब मिल जाती है, जिसकी कम से कम कीमत 10 रुपए तक भी है।
रेहड़ी के पास लगाए जाते स्टूल
रेहड़ी पर अवैध रूप से शराब बेचने वाले लोगों के हौसले इतने बुलंद है कि उन्हें किसी का भी डर नहीं है। मयखाने में स्टैंडर्ड के नाम पर रेहड़ी के पास कुछ छोटे स्टूल लगाए जाते हैं और साफ-सुथरे कांच व स्टील के गिलासों में शराब परोसी जाती है।
NEWS SOURCE : punjabkesari