150 से अधिक वकीलों ने जज के हितों के टकराव को लेकर CJI को लिखा पत्र, केजरीवाल जमानत मामला

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दिल्ली के करीब 150 वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर आबकारी नीति मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को नियमित जमानत देने पर दिल्ली हाई कोर्ट के प्रतिबंध पर चिंता जताई है। पत्र में उन्होंने 4 जुलाई, गुरुवार को पारित आदेश में ‘हितों के टकराव’ का हवाला दिया। पत्र में लिखा है, “हम दिल्ली हाई कोर्ट और दिल्ली की जिला अदालतों में देखी जा रही कुछ अभूतपूर्व प्रथाओं के संबंध में कानूनी बिरादरी की ओर से यह पत्र लिख रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि केजरीवाल को जमानत देने से इनकार करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुधीर कुमार जैन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई से खुद को अलग कर लेना चाहिए था। वकीलों ने कहा कि मामले में ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील न्यायाधीश के भाई थे और इसलिए हितों का टकराव पैदा हुआ। वकीलों ने दावा किया कि न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन के भाई अनुराग जैन ईडी के वकील थे और हितों के टकराव की यह स्पष्ट बात कभी घोषित नहीं की गई।

150 वकीलों ने अरविंद केजरीवाल पर हाई कोर्ट के ऑर्डर पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से चिट्ठी लिखकर चिंता जताई pic.twitter.com/jMnolqe6jP

— Narendra Nath Mishra (@iamnarendranath) July 4, 2024

हालांकि, सूत्रों ने बताया कि वकील अनुराग जैन आबकारी नीति मामले से संबंधित किसी भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले को नहीं संभाल रहे हैं। इस ज्ञापन पर 157 वकीलों ने हस्ताक्षर किए हैं। वकीलों ने जिला न्यायाधीश के कथित आंतरिक पत्र पर भी चिंता जताई, जिसमें अधीनस्थ अदालतों के अवकाशकालीन न्यायाधीशों से कहा गया है कि वे अदालती छुट्टियों के दौरान लंबित मामलों में अंतिम आदेश पारित न करें। वकीलों ने कहा कि इस तरह का फरमान अभूतपूर्व है। अरविंद केजरीवाल की जमानत का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि न्यायाधीश ईडी और सीबीआई मामलों में जमानत को अंतिम रूप नहीं दे रहे हैं और लंबी स्थगन की अनुमति दे रहे हैं।

यह प्रतिनिधित्व महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राउज एवेन्यू कोर्ट के अवकाश न्यायाधीश न्यायमूर्ति बिंदु द्वारा 20 जून को अरविंद केजरीवाल को जमानत दिए जाने के आदेश की पृष्ठभूमि में आया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईडी की अपील पर जमानत आदेश पर रोक लगा दी थी। वकीलों ने कहा कि केजरीवाल को जमानत देते समय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश न्याय बिंदु ने मुख्य न्यायाधीश के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि अधीनस्थ अदालतों को त्वरित और साहसिक निर्णय लेने की जरूरत है, ताकि उच्च न्यायालय पर मामलों का बोझ न पड़े।

NEWS SOURCE : punjabkesari