विदेशी मदद पर मनमोहन सिंह की परंपरा टूटी, मोदी सरकार की सफाई

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कोरोना महामारी के चलते भारत को अपनी 16 साल पुरानी नीति को बदलनी पड़ी है. कोरोना संकट के कारण ऑक्सीजन और मेडिकल सिस्टम बिगड़ने के बाद भारत विदेशों से उपहार, दान और मदद स्वीकार कर रहा है. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने भारत के रुख में आए इस बदलाव का बचाव किया है. उन्होंने गुरुवार को साफ किया है कि इस मुश्किल घड़ी में लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए जो भी बन पड़ेगा, भारत वो सब कुछ करेगा

यह पहली मर्तबा है जब मोदी सरकार के किसी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने विदेशी सरकारों से सहायता लेने और स्वास्थ्य संकट की स्थिति में चीन से आपातकालीन चिकित्सा आपूर्ति खरीदने की भारत के रणनीतिक कदम का बचाव किया है.  

 

पत्रकारों से बातचीत में भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, ‘हम इसे एक ऐसी स्थिति के संदर्भ में देख रहे हैं जो बहुत ही असामान्य है, यह बहुत ही अभूतपूर्व है, यह बहुत ही असाधारण है, और हम इस समय अपने नागरिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जो कुछ हो सकेगा वो सब करेंगे.’

 

सूत्रों का कहना है कि अमेरिका का बाइडन प्रशासन भारत को एस्ट्राज़ेनेका के टीकों की 20 मिलियन खुराक की आपूर्ति करने वाला है. अगले सप्ताह अमेरिका से एंटीवायरल दवा रेमेडिसविर की 20,000 कोर्स भारत आने वाला है. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बाइडन प्रशासन अपने स्टॉक से 36 मिलिपोर फिल्टर की आपूर्ति कर रहा है. इससे भारत में कोविशील्ड वैक्सीन की 5 लाख खुराक बनाने में मदद मिलेगी. अमेरिका ऑक्सीजन उत्पादन के लिए 17 प्लांट्स की आपूर्ति भी करना चाहता है

 

अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे प्रमुख शक्तिशाली देशों सहित दुनिया भर के लगभग 40 देशों ने भारत को कोरोना संकट से निपटने में मदद करने के लिए चिकित्सा आपूर्ति और मदद मुहैया कराने का ऐलान किया है. कई देशों से ऑक्सीजन और मेडिकल सप्लाई की मदद पहुंच भी चुकी है. बांग्लादेश और भूटान भी भारत की कोरोना संकट से निपटने में मदद के लिए आगे आए हैं. बांग्लादेश ने घोषणा की है कि वह एंटी-वायरल दवाई की 10,000 शीशियां, 30,000 पीपीई किट्स और अन्य जरूरी दवाइयां भारत भेजेगा

 

असल में, भारत अभी कोरोना महामारी के सबसे भयानक दौर से गुजर रहा है. प्रतिदिन आने वाले रिकॉर्ड मामले, बड़ी संख्या में मौतें और अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत से भारतीय नागरिक बेहाल हैं. लिहाजा, भारत सरकार को अपनी 16 पुरानी नीति बदलनी पड़ रही है जबकि मनमोहन सिंह ने यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था भारत अपने दम पर आपदा के हालातों से निपटने में सक्षम है, उसे बाहरी मदद की आवश्यकता नहीं है.