भारत बोला- नेपाल का राजनीतिक घटनाक्रम उसका आंतरिक मामला, हम नहीं देंगे दखल
भारत ने बुधवार को कहा कि वह नेपाल में हाल के राजनीतिक घटनाक्रम को उस देश के आंतरिक मामलों के रूप में देखता है और नेपाल को उसकी प्रगति, शांति, स्थिरता और विकास की यात्रा में समर्थन देता रहेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में कहा कि हमने नेपाल में हाल के राजनीतिक घटनाक्रम को देखा है। हम इसे नेपाल के आंतरिक मामलों के रूप में देखते हैं जिससे उन्हें अपने घरेलू ढांचे और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत निपटना है। बागची ने कहा कि एक पड़ोसी और मित्र के रूप में भारत, नेपाल और वहां के लोगों को उनकी प्रगति, शांति, स्थिरता और विकास की यात्रा में निर्वाध रूप से समर्थन देता रहेगा।
बता दें कि नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है। इससे पहले राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिशों पर सदन को भंग कर दिया था। ओली की सरकार सदन में विश्वास मत में हारने के बाद अल्पमत में आ गई थी।
नेपाल के विपक्षी दलों के पूर्व सांसद रविवार और सोमवार को एकत्र हुए थे तथा उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए शेर बहादुर देउबा के दावे के समर्थन में अपने हस्ताक्षर सौंपा था। राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर शनिवार को पांच महीने में दूसरी बार 275 सदस्यीय सदन को भंग कर दिया था तथा 12 और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी।