12 राज्यों ने कहा- सिर्फ 3-4 विषयों की परीक्षा हो, समय भी घटे; 8 राज्य बोले- वैक्सीन लगाओ या परीक्षा रद्द करो

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देशभर में 12वीं की परीक्षा को लेकर राज्यों ने अपने सुझाव केंद्र सरकार को भेज दिए हैं। इनमें 12 राज्यों ने कहा कि कम अवधि के केवल 3-4 पेपर लिए जाएं। दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान समेत 8 राज्यों ने कहा कि परीक्षा से पहले सभी छात्रों को वैक्सीन दी जाए या परीक्षा रद्द की जाए। कई राज्यों ने यह भी कहा कि वे राज्य बोर्ड में भी CBSE का पैटर्न अपनाएंगे।

परीक्षा को लेकर राज्यों की तैयारी

  • दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सुझाव दिया कि यदि केंद्र फाइजर के टीके का इंतजाम कर सके, जो 12 साल से बड़े बच्चों को लगाई जा रही है, तो फिर सभी बच्चों के टीकाकरण के बाद परीक्षा हो सकती है। महाराष्ट्र, झारखंड, केरल, मेघालय, अरुणाचल, तमिलनाडु और राजस्थान ने भी परीक्षा से पहले टीके का सुझाव दिया है।
  • महाराष्ट्र ने ऑनलाइन परीक्षा की बात भी कही। यूपी, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, असम, हिमाचल, चंडीगढ़, सिक्किम, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और ओडिशा चाहते हैं कि सिर्फ मुख्य विषयों की परीक्षा हो और अवधि कम हो। परीक्षाएं अपने ही स्कूल में हों। कर्नाटक, पुड्‌डुचेरी ने कहा कि वे सर्वसम्मति से तय CBSE पैटर्न अपनाएंगे।
  • उत्तर प्रदेश ने कहा है कि सहमति बनती है तो वे एक माह में राज्य बोर्ड की परीक्षा आयोजित कर नतीजे भी घोषित कर देंगे। मप्र ने जून के पहले हफ्ते परीक्षा का ऐलान किया था, जिस पर उन्हें फैसला करना है। हरियाणा ने 15 से 20 जून के बीच तैयारी की है।
  • छत्तीसगढ़ में 1 से 5 जून के बीच घरों में ऑफलाइन परीक्षा होगी। असम का प्रस्ताव है कि सिर्फ तीन पेपर ही लिए जाएं। पंजाब ने कहा है कि वे एक भाषा और तीन इलेक्टिव विषयों के पेपर और आंसरशीट के साथ तैयार हैं। तमिलनाडु का कहना है कि स्थिति सुधरने पर ही परीक्षा हो।

297 छात्रों की सीजेआई को चिट्‌ठी, लिखा- बोर्ड परीक्षाएं रद्द कराएं
उधर, CBSE 12वीं की परीक्षा रद्द करने को लेकर 297 छात्रों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को चिट्ठी लिखी है। छात्रों ने चिट्‌ठी में कहा है, ‘CJI मामले में स्वत: संज्ञान लें। पिछले साल की तरह वैकल्पिक मूल्यांकन योजना बनाने के निर्देश दें। कोरोना के कारण कई छात्रों ने परिजनों को खोया है। ऐसे में इस वक्त परीक्षा कराना उचित नहीं है। इससे लाखों छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों और अभिभावकों की जान खतरे में पड़ सकती है।’

चिट्‌ठी में यह भी कहा गया है कि कई राज्यों में लॉकडाउन चल रहा है। कई छात्र अभी परीक्षा केंद्रों वाले स्थानों में नहीं हैं। अगर ऑफलाइन परीक्षाएं हुईं तो उनके लिए यात्रा कर परीक्षा स्थलों तक पहुंचना मुश्किल होगा। कई छात्र 18 साल से कम उम्र के हैं। टीका न लगने से उन्हें जोखिम रहेगा। बोर्ड परीक्षाएं स्थगित होने से छात्र आशंकित भी हैं। उन्हें समझ नहीं आ पा रहा है कि वे विदेशी विश्वविद्यालयों या कॉलेजों की प्रवेश परीक्षाएं दे पाएंगे या नहीं।

रविवार को हुई थी मीटिंग
इससे पहले रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में देशभर के शिक्षा मंत्रियों की बैठक हुई थी। इसके बाद शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सभी राज्यों से मंगलवार तक सुझाव देने के लिए कहा था। इस बीच सोमवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रक्षा मंत्री और शिक्षा मंत्री के साथ बैठक कर मामले की प्रोगेस के बारे में जाना।