Report : संयुक्त राष्ट्र में बढ़ रहा चीन का दबदबा भारत के लिए खतरे की घंटी

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चीन ने संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न निकायों को नियंत्रित करके संयुक्त राष्ट्र प्रणाली पर हावी होना शुरू कर दिया है जो भारत के लिए खतरे की घंटी है। शीर्ष विदेश नीति थिंक टैंक का कहना है कि चीन के इस दबदबे को कंट्रोल करने के लिए  भारत को  रक्षात्मक नीति अपनाने के बजाए सक्रिय प्रभावी कदम उठाने चाहिए । मुंबई स्थित गेटवे हाउस: इंडियन काउंसिल ऑन ग्लोबल रिलेशंस ने एक रिपोर्ट   के अनुसार चीन संयुक्त राष्ट्र की 15 प्रमुख एजेंसियों में से चार का प्रमुख है और नौ अन्य एजेंसियों में इसके प्रतिनिधि हैं । इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के निचले पायदान पर कैरियर पेशेवरों या राजनयिकों के रूप में चीनी नागरिकों का नेटवर्क काम कर रहा है।

चीन इस सब के साथ-साथ अपनी  ताकत दिखाने और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को प्रभावित करने के लिए  के विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडेनौम घेब्रेयसस जैसे प्रभावशाली लोगों का कटपुतली की तरह उपयोग कर रहा है। गुरुवार को प्रकाशित गेटवे हाउस की रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य प्रमुख शक्तियां भी गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और आधिकारिक विकास एजेंसियों के माध्यम से ऐसा करने की कोशिश करती हैं और इसका मुकाबला करने के लिए भारत को  खुद को बहुपक्षीय प्रणाली में शामिल करना चाहिए ।

रिपोर्ट के अनुसार भारत जहां चीन को कंट्रोल करने में जहां अधिक अनुकूल भूमिका निभा सकता है वहीं  उन एजेंसियों, निधियों और निकायों में अपने स्वैच्छिक योगदान को भी बढ़ा सकता है। गेटवे हाउस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल पूर्व अमेरिकी व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने आरोप लगाया था कि डब्ल्यूएचओ प्रमुख एक चीनी प्रॉक्सी है । घेब्रेयस को 2017 में चीन के समर्थन से चुना गया था और इससे पहले वह इथियोपिया के स्वास्थ्य और विदेश मंत्री थे, जो अफ्रीका में चीनी निवेश के सबसे बड़े प्राप्तकर्ताओं में से एक था।  रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया  कि चीन में महामारी के संबंध में डब्ल्यूएचओ की देरी से चेतावनी और यात्रा प्रतिबंध विश्व के लिए विनाशकारी परिणाम के रूप में सामने आए।”