इस पक्षी के अंडे करते हैं बारिश की भविष्यवाणी, अगर 4 अंडे हुए तो होगी भीषण बारिश
बदलते विज्ञान के इस युग में बुन्देलखण्ड के ग्रामीण अंचलों में आज भी पुरानी परंपराएं जीवित हैं। जिनमें से एक परंपरा बारिश को लेकर है। जिसमें टिटहरी पक्षी द्वारा खुले खेतों में दिये गये अंडों की संख्या के आधार पर आज भी लोग बारिश का अनुमान ही नहीं लगाते बल्कि उस पर पूर्ण विश्वास करते हैं।
टिटहरी नाम का यह पक्षी जितने अंडे देता है और उन अंडों में से कितने अंडे आपस में चिपके हुए है, शेष अंडों में आपस मे कितना अंतर है, उतने माह पूरे बुंदेलखंड के साथ साथ देश में अच्छी खासी बरसात होती है, और जो अंडे अलग रहते हैं। उतने माह कम बरसात होती है। दरअसल पुरातन काल से ही लोग इस मान्यता पर भरोसा करते है, और इसी के सहारे खेतों में किसान बारिश के आगमन के पूर्व अपनी खेती की तैयारियां शुरू कर देते हैं। जबकि वर्तमान में भले ही मौसम विभाग और कृषि विभाग किसानों को मौसम की सटीक जानकारी देते है। लेकिन बुन्देलखण्ड का किसान आज भी टिटहरी पक्षी के अंडों से बारिश का अंदाजा लगाता है।
यह पक्षी पूरे भारत देश मे पाया जाता है और यह पक्षी तीन या चार अंडे ही देता है इससे ज्यादा नहीं। यह पक्षी अपने अंडे किसी पेड़ पर अपना घोसला बनाकर नहीं या ऊंचे स्थान पर नहीं बल्कि यह अपने अंडे खेतों नदी किनारे नालों के पास या गड्ढे नुमा जमीन में कुछ कंकड़ पत्थर इक्कठे कर उसी के उपर देता है। इन अंडों का स्वरूप मिट्टी के जैसे होता है। जिससे दूर से समझ में नहीं आ सके, कि यहां अंडे रखे हैं साथ ही यह पक्षी जहां पर भी अंडे रखता है। वहां से काफी दूरी पर बैठते हैं। ताकि किसी व्यक्ति या जानवर को यह अहसाय ना हो कि यहां अंडे रखे हुये हैं। टिटहरी के अंडों का बुंदेलखंड के किसानों में बड़ा ही महत्त्व है। यहां का किसान मौसम विभाग के दिये अनुमान के आधार पर नही बल्कि टिटहरी पंक्षी द्वारा दिये गये इन्हीं अंडों के आधार पर ही अनुमान लगाता, कि कितने माह और कितनी बरसात होनी है। इस साल टिटहरी ने तीन अंडे दिये है। जिनमे दो अंडे आपस मे जुड़े हुये हैं एक कुछ अलग हैं। जिससे किसानों का अनुमान है, की इस वर्ष दो माह अच्छी बरसात होगी। बाकी एक माह कम बरसात होगी।