जानें बसपा के कब-कब टूटे गठजाेड़, हरियाणा में किसी दल को रास नहीं आई मायावती के हाथी की सवारी

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पंजाब में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाने वाले शिरोमणि अकाली दल और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी के बीच राजनीतिक गठजोड़ का असर हरियाणा की राजनीति पर भी पड़ सकता है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए अभी हालांकि तीन साल का वक्त है, लेकिन पंजाब चुनाव के बाद यहां अकाली दल, बसपा और इनेलो मिलकर साझा राजनीतिक मंच तैयार कर सकते हैं। हरियाणा में किसी भी दल को अब तक मायावती के हाथी की सवारी नहीं भाया है।

 राज्य में अब तक पांच बार गठबंधन कर चुकी बसपा, हर बार खुद ही तोड़ डाला

शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के राजनीतिक रिश्ते पूरी तरह स. खत्म हो चुके हैं, लेकिन इनेलो के साथ अकाली दल की चासनी अभी भी बरकरार है। राजनीतिक गलियारों में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल को पगड़ी बदल भाई माना जाता है।

पंजाब चुनाव के बाद अकाली, बसपा व इनेलो के बीच नए गठजोड़ की संभावना

इनेलो और बसपा के बीच भी यहां पूर्व में दो बार गठबंधन रह चुका है। ऐसे में शिरोमणि अकाली दल, बसपा और इनेलो के बीच भविष्य में राजनीतिक खिचड़ी पकने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। इसके विपरीत हरियाणा में बहुजन समाज पार्टी का राजनीतिक इतिहास बहुत अच्छा नहीं है। यहां बसपा सुप्रीमो मायावती के हाथी की सवारी किसी भी राजनीतिक दल को रास नहीं आई है।

हरियाणा में जिस भी दल ने बसपा सुप्रीमो मायावती के हाथी की सवारी की, वह ज्यादा दूरी तक नहीं चल पाया। 1998 में बसपा का सबसे पहला गठबंधन इनेलो के साथ लोकसभा चुनाव में हुआ। तब इनेलो ने चार और बसपा ने एक लोकसभा सीट जीती। उसके बाद विधानसभा चुनाव में दोनों दलों का गठबंधन टूट गया।

2009 में कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) बनाने वाले कुलदीप बिश्नोई ने मायावती के हाथी की सवारी की, लेकिन बसपा और हजकां का गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चल पाया। अब कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस में हैं। मई 2018 में बसपा और इनेलो के बीच दूरियां अचानक नजदीकियों में बदल गई। इनेलो व बसपा गठबंधन ने जींद उपचुनाव मिलकर लड़ा, लेकिन करारी शिकस्त के बाद बसपा ने इनेलो से नाता तोड़ लिया।