यूपी में डिस्टलरी लगा रहे बड़े निवेशक, 1250.44 करोड़ रुपए का हुआ निवेश, डालमिया ग्रुप ने शुरू किया उत्पादन
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयासों तथा निवेश को बढ़ावा देने संबंधी नीतियों ने सूबे में गन्ना किसानों और चीनी उद्योग दोनों की सूरत बदली है। इसके चलते जहां निजी क्षेत्र की 11 चीनी मिलों ने करोड़ों रुपए का निवेश कर पेराई क्षमता का विस्तार किया है, वही अब बड़े बड़े कारोबारी 1250.44 करोड़ रुपए का निवेश कर राज्य में 16 नई डिस्टिलरी (आसवनी) लगा रहें है। डालमिया ग्रुप द्वारा लगाई डिस्टिलरी में उत्पादन भी शुरू हो गया है। शेष बची 15 डिस्टिलरी में इस वर्ष के अंत तक उत्पादन शुरू हो जाएगा।
यह पहला मौका है जब राज्य में इतनी बड़ी संख्या में डिस्टिलरी लगाने में निवेशकों ने रूचि दिखाई है। डिस्टिलरी स्थापित कर रहे निवेशकों में डीसीएम श्रीराम, पारले बिस्कुटस, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड जैसे विख्यात लोग शामिल हैं। इन निवेशकों ने सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर ही राज्य में निवेश किया है। बीती सरकार में उन्हीं निवेशकों ने राज्य में डिस्टलरी लगाने में रुचि नहीं दिखाई थी। पिछली सरकारों में एक के बाद एक बंद होती चीनी मिलों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी नीतियों और रणनीति के जरिए न सिर्फ दोबारा शुरू कराया गया, बल्कि यूपी को देश में चीनी उत्पादन में नंबर वन बना दिया है। वैसे भी उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक गन्ना उत्पादक राज्य है।
देश के गन्ने के कुल रकबे का 51 फीसद एवं उत्पादन का 50 और चीनी उत्पादन का 38 फीसद उत्तर प्रदेश में होता है। देश में कुल 520 चीनी मिलों से 119 उत्तर प्रदेश में हैं। करीब 48 लाख गन्ना किसानों में से 46 लाख से अधिक किसान मिलों को अपने गन्ने की आपूर्ति करते हैं। यहां का चीनी उद्योग करीब 6.50 लाख लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार देता है। प्रदेश में गन्ना किसानों की बड़ी संख्या होने के नाते मुख्यमंत्री योगा आदित्यनाथ ने गन्ना तथा चीनी उद्योग को बढ़ावा देना पानी प्राथमिकता में रखा। उन्होंने राज्य में गन्ना तथा चीनी उद्योग के विकास को लेकर तैयार किए गए खाका तैयार कराया। जिसके तहत ही यूपी में ग्यारह चीनी मिलों की पेराई क्षमता में इजाफा किया गया। बंद पड़ी वीनस, गगलहेडी और बुलन्दशहर की चीनी मिलों को फिर से शुरू किया गया। राज्य में गन्ने के साथ ही चीनी उद्योग को भी नई ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी के तहत यह कार्य हुआ, तो इसका लाभ किसानों को मिला।
इसी क्रम में अब डिस्टिलरी लगाने के लिए कई निवेशक आगे आये हैं। अधिकारियों के अनुसार डीसीएम श्रीराम लिमिटेड ने हरदोई में डिस्टिलरी लगाई है। इसमें उत्पादन होने लगा है। इसके अलवा सुपीरियर बायोफ्यूल्स लिमिटेड शामली में, करीमगंज बायोफ्यूल्स लिमिटेड रामपुर में, अजुधिया बायोफ्यूल्स लिमिटेड बिलारी में, महाकौशल एग्रीक्राप इंडिया लिमिटेड प्रयागराज के शंकरगढ़ में, यदु शुगर मिल बदायूं में, आरती डिस्टिलरी कानपुर देहात में, फारएवर डिस्टिलरी देवरिया में, माल्ब्रोस इंटरनेशनल शाहजहांपुर में, राज श्री फाइन केमिकल्स शाहजहांपुर में इन्डियन पोटास लिमिटेड मुजफ्फरनगर में पारले बिस्कुट प्राइवेट लिमिटेड बहराइच में बलरामपुर चीनी मिल लखीमपुरखीरी में डिस्टिलरी यूनिट लगा रहें हैं।
करीब 1250.44 करोड़ रुपए का निवेश कर लगाई जा रही इन डिस्टिलरी यूनिट का लाभ किसानों और चीनी उद्योग दोनों को मिलेगा। यहीं नही इन डिस्टिलरी के शुरु होने से एथनाल उत्पादन में प्रदेश में सबसे अव्वल स्थान पर होगा। अभी भी एथनाल उत्पादन उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। वर्ष 2017-18 से 31 जनवरी, 2021 तक 54 डिस्टिलरीज के माध्यम से प्रदेश में कुल 261.72 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हुआ है, जो कि एक रिकॉर्ड है।