गंगाजल से होगा कोरोना का खात्मा? याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र और ICMR से मांगा जवाब
प्रयागराजः ‘गंगाजल से कोरोना का इलाज संभव है’ मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है और अब यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें ये दावा किया गया है कि गंगाजल से कोरोना का इलाज संभव है। इस याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इसे लेकर हाईकोर्ट ने सेंट्रल गवर्नमेंट की एथिक्स कमेटी और ICMR को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
हालांकि याचिका पर सुनवाई होने के बाद साधु संत और आम जनता का कहना है कि गंगा जल में कभी कीड़े नहीं पड़ते। साथ ही गंगाजल में अनेकों प्रकार के एलिमेंट्स पाए जाते है जो शरीर के लिए लाभदायक होते है। इसलिए कोरोना का इलाज इससे संभव हो सकता है। हाईकोर्ट ने सेंट्रल गवर्नमेंट की एथिक्स कमिटी और ICMR दोनों संस्थानों को छह हफ्ते का समय दिया है।
इस विषय पर साधु संतों और आम नागरिकों से जानने की कोशिश की गई कि आखिर वो कितने सहमत है। स्वामी विश्वेश्वरा महाराज के मुताबिक गंगा नदी हिमालय से होकर के प्रदेश के अन्य जिलों से होकर गुजरती है, ऐसे में हिमालय में तरह-तरह की जड़ी बूटियां को अपने साथ लेकर के वह हर जिले में आती है।
वैज्ञानिकों ने भी यह दावा किया है कि गंगाजल में कभी भी कीड़े नहीं लगते हैं, चाहे जल जितना भी पुराना हो, इसलिए गंगाजल में इंसान की इम्युनिटी को मजबूत बनाने साथ ही साथ प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में कारगर साबित होता है। हालांकि कई जिलों में नदी में प्रदूषित पानी जरूर आता है लेकिन उससे गंगाजल को कोई हानि नहीं होती।
इस मामले में पंजाब केसरी के संवाददाता ने संगम तट का जायजा लिया और वहां मौजूद कुछ लोगों से बात की है। बातचीत करने पर लोगों के कहा कि जब वैज्ञानिक गंगाजल पर और शोध करेंगे तो उनको परिणाम के रूप में यह जरूर सामने आएगा कि गंगाजल में सभी वह तत्व मौजूद हैं जिससे शरीर मे हुए कोरोना को कम या खात्मा किया जा सकता है। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में अरुण गुप्ता ने एक जनहित याचिका दाखिल की है जिसमें उन्होंने कहा है कि गंगाजल से कोरोना का इलाज संभव है और इस पूरे मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र और आईसीएमआर से छह हफ्तों में जवाब मांगा है।