Report: वन-चाइल्ड पॉलिसी ने चीन को आर्थिक-भावनात्मक रूप से किया तबाह
बीजिंग : वन-चाइल्ड पॉलिसी चीन के लिए आर्थिक-भावनात्मक रूप से तबाही का कारण साबित हो रही है । एक नए अध्ययन से पता चला है कि चीनी माता-पिता देश की इस पॉलिसी के कारण वित्तीय और भावनात्मक तबाही के दोहरे आघात का सामना कर रहे हैं । CNA की लिहोंग शी ने बताया कि एक बच्चे की मौत सभी माता-पिता के लिए विनाशकारी है लेकिन चीनी माता-पिता के लिए इकलौता बच्चा खोना भावनात्मक तबाही में वित्तीय बर्बादी को भी जोड़ देता है। इस अध्ययन में 100 से अधिक चीनी माता-पिता को शामिल किया गया जिन्होंने 1980 से 2015 के दौरान अपने परिवार शुरू किए और बीमारी, दुर्घटना, आत्महत्या या हत्या से अपने एकमात्र बच्चे को खो दिया । वे अपने बच्चे की मृत्यु के समय प्रजनन आयु पार कर चुके थे एक और बच्चा पैदा करने में असमर्थ थे।
सरकार के लिए काम करने वाले माता-पिता और चीन की आर्थिक व्यवस्था के तहत कई शहरी श्रमिकों ने एक से अधिक बच्चे होने पर अपनी नौकरी खोने का जोखिम उठाया। लेकिन देश में बढ़ती बूढ़ी आबादी से चिंतित चीन पिछले कुछ सालों से अपने देश में बढ़ते जन्मदर संकट से निपटने के लिए प्रभावी उपाय अपनाने की कोशिश कर रहा है। सरकार ने अपने हाल के फैसले में विवाहित जोड़ों को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति दी है लेकिन इसके बावजूद कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति का चीन की प्रजनन दर की प्रवृत्ति पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में सामाजिक विज्ञान और सार्वजनिक नीति के प्रोफेसर स्टुअर्ट गिटेल-बास्टेन के अनुसार उनके कुछ सर्वे से यह निष्कर्ष सामने आया है कि चीन में सिर्फ कुछ ही लोग वास्तव में तीसरा बच्चा पैदा करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि बच्चों को पालने में होने वाले खर्च और कामकाजी महिलाओं के करियर के लिए अवसर जैसी चीजें कई चीनी महिलाओं को अधिक बच्चे पैदा करने के बारे में सोचने से हतोत्साहित कर सकती हैं। वे कहते हैं, “हमें ऐसा नहीं लगता है कि सरकार की नई नीति की वजह से बच्चा पैदा करने को लेकर सामाजिक तौर पर कोई बड़ा बदलाव आएगा। ” बता दें कि तीन बच्चे पैदा करने की नीति लागू करने से पहले चीन ने 2015 के अंत में दो बच्चे पैदा करने की छूट दी थी।
इससे पहले देश में एक बच्चा पैदा करने की नीति सख्ती से लागू थी। इस नीति की शुरुआत 1979 में की गई थी। उस समय चीन की सरकार का कहना था कि गरीबी मिटाने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है। 2015 के अंत में दो बच्चों की नीति लागू होने के बाद देश में प्रजनन दर में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि नहीं दर्ज की गई। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में चीन की प्रजनन दर प्रति महिला 1.3 बच्चे थी। इससे चीन जापान और इटली जैसे देशों के बराबर पहुंच गया जहां युवाओं से ज्यादा आबादी बुजुर्गों की होती जा रही है।