लंका में हनुमान -विभीषण के मिलन प्रसंग के साथ रिहर्सल शुरू, संत – महंत कर रहे विरोध
[ मामेन्द्र कुमार ] अयोध्या में 6 से 15 अक्टूबर तक होने वाली फिल्मी सितारों की रामलीला का रिहर्सल शुरू हो गया है।दिल्ली में चार कलाकारों ने इसे शुरू किया है जिसमें हनुमान जी की लंका में विभीषण से मुलाकात के प्रसंग का अभ्यास किया गया । अयोध्या की रामलीला के लिए बॉलीवुड और दिल्ली के कलाकारों ने मिलकर रिहर्सल किया । इसमें फिल्म स्टार बिंदु दारा सिंह, अभिनेता अवतार गिल और कैप्टन राज माथुर मौजूद थे।
पिछली बार अयोध्या की रामलीला को 16 करोड़ से भी ज्यादा दर्शकों ने अपने घरों में बैठकर देखी
अयोध्या की रामलीला के अध्यक्ष सुभाष मलिक (बॉबी )ने बताया कि इस बात की बड़ी खुशी है कि दिल्ली के कलाकार और बॉलीवुड के कलाकार अयोध्या की रामलीला के लिए रिहर्सल कर रहे हैं पिछली बार अयोध्या की रामलीला में सारे रिकॉर्ड तोड़े थे 16 करोड से भी ज्यादा दर्शकों ने अपने घरों में बैठकर रामलीला देखी थी ।और इस बार भी विश्व भर में भगवान श्री राम के भक्त अपने घरों में बैठकर यह रामलीला देखेंगे।इस बार भी रामलीला घर बैठकर ही देखने को मिलेगा ऑडियंस अलाउड नही है ।
शहबाज, भाग्यश्री, रजा मुराद, राकेश बेदी करेंगे रोल
रामलीला में मुख्य भूमिका निभा रहे शहबाज खान रावण, भाग्यश्री सीता , बिंदु दारा सिंह हनुमान जी ,असरानी नारदमुनि, रजा मुराद कुंभकर्ण के रोल में नजर आएंगे। शक्ति कपूर अहिरावण, रवि किशन परशुराम, शीबा खान मंदोदरी , अमिता नांगिया कैकयी , कैप्टन राज माथुर भरत ,राकेश बेदी बाली का रोल में करेंगे।
ये रहे मौजूद
यह रामलीला 6 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक अयोध्या में होने वाली रामलीला का रोज रात 7:00 से 10:00 बजे तक लाइव टेलीकास्ट डीडी भारती पर एवम दूरदर्शन चैनल पर भी दिखाई जाएगी । रिहर्सल में रामलीला कमेटी के चेयरमैन राकेश बिंदल, कैप्टन राज माथुर, सेक्रेटरी शुभम मलिक, वाइस चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल, वाइस चेयरमैन पवन वत्स, वाइस चेयरमैन आदित्य अग्रवाल, वाइस प्रेसिडेंट अमित कुमार मौजूद रहे l
संतों का आरोप कि फिल्मी कलाकारों को रामायण संस्कृति का बेहतर ज्ञान नही
गत 20 जून को अयोध्या के स्मारक सदन में बैठककर संत-महंत फिल्मी कलाकारों की रामलीला का विरोध कर चुके है । संतों का आरोप है कि फिल्मी कलाकारों को रामायण संस्कृति का बेहतर ज्ञान नही है।उनकी लीला से संस्कृति को नुकसान हो रहा है । यह विरोध करने वालों में अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत ज्ञानदास व दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास आदि 200 संत-महंत शामिल थे ।