चर्चाओं के बीच : एडिटर अमित आनंद नवोदित प्रतिभाओं के लिए अपार संभावनाओं से भरी हैं फिल्म विधा

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मुंबई : [ मामेंद्र कुमार] गीत-गणेश (गायक-जुबिन नॉटियाल) ,मीठी मीठी जलन (गायक-मोहित चौहान),गीत-जस्सी-(गायक-पायल देव व इक्का), गीत-कैसे भूलूं मैं-(गायक-अमित मिश्रा), गीत -माही किथे-(गायक-भूमी त्रिवेदी) के अलावा अंकित तिवारी, राहत फतेह अली खान के म्यूजिक वीडियो को गीतों को टी सीरीज, ज़ी म्यूजिक इरोज़ म्यूजिक, 9एक्स एम तथा बुलमान कंपनी द्वारा संगीत बाज़ार में लाए जाने के बाद से बतौर फिल्म एडिटर अमित आनंद का नाम तेजी से उभर कर सामने आया है। फ़िलवक्त फिल्म एडिटर अमित आनंद फिल्म संपादन के क्षेत्र में क्रियाशील रहते हुए सामाजिक सरोकार से जुड़ी संस्थाओं के साथ जुड़ कर गरीब असहाय लोगों की सेवा और मदद करने की दिशा में भी काफी सक्रिय रहते हैं। विदित हो कि अपनी बेसिक शिक्षा पूरी करने के बाद अमित आनंद ने आईफा से फ़िल्म निर्माण व एडिटिंग का कोर्स विधिवत पूरा किया। इसके बाद 2008 में विज्ञापन फ़िल्म टाटा स्काई शो बिज, जीएम लाइट, विप्रो लाइट, एलजी लाइट ऑफ जॉय, महिंद्रा एवं पी एंड जी जैसी चर्चित विज्ञापन फिल्मों के लिए एडिटर के तौर पर अनुबंधित किए जाने के बाद अमित आनंद अपनी प्रतिभा कौशल के बदौलत विज्ञापन की दुनिया में भी अपनी एक विशिष्ट छवि कायम करने में कामयाब रहे।

लघु फिल्म ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ (2015), औसम- मौसम(2016), क्या फर्क पड़ता है(2016), कब्बडी (2018), मैथली (2020), वो तीन दिन, व कुतुबमीनार एवं पातालपानी (2021),विथ लव बॉलीवुड (थाई लैंड) जैसी फिल्मों का सम्पादन कर अमित आनंद सफल फ़िल्म एडिटर की कतार में शामिल हो गये। हिंदी फिल्म व धारावाहिक फिल्मों के सम्पादन के अलावा अमित आंनद कई क्षेत्रीय फिल्मों का भी सम्पादन किया है।
फिल्म समीक्षक कालीदास पांडे ने आगे बताया कि अमित आनंद द्वारा सम्पादित कई फिल्मों को भारत के अलावा विदेशों में कई अवार्ड से नवाज़ा गया है।

शार्ट फ़िल्म– गुड मॉर्निंग (निर्देशक व एडिटर), माँ (निर्देशक व एडिटर), नास्तिक (निर्देशक व एडिटर), पाक बनाम चायवाला (निर्देशक व एडिटर), वेब सीरीज गैंग्स ऑफ ऑफिस (टीवी सीरीज), बैकपैक, फिर से रामसे आदि इनकी उल्लेखनीय कृतियों में शामिल हैं। बकौल एडिटर अमित आनंद फिल्म विधा से जुड़े कई क्षेत्र हैं जिसमें नवोदित प्रतिभा अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं, थोड़ा धैर्य रखने की आवश्यकता है…फिल्म इंडस्ट्री बेहद पाक है ,..इसके दामन में कई ऐसे क्षेत्र है , जिसमें शिक्षित बेरोजगार व्यक्ति सरकारी नौकरी का न इंतजार करते हुए इस क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं।