भारत भी हुआ शामिल, जानें पूरा मामला, ताशकंद में शुरू हुई मध्‍य और दक्षिण एशिया को जोड़ने की मुहिम

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मध्‍य और दक्षिण एशियाई देशों में और अधिक तालमेल बिठाने और आपसी संबंधों को मजबूत करने के मकसद से उजबेकिस्‍तान के ताशकंद में दो दिवसीय सेंट्रल एंड साउथ एशिया कांफ्रेंस की शुरुआत हुई है। इस बाबत उजबेकिस्‍तान की एजेंसी फॉर इंफॉर्मेशन एंड मास कम्‍यूनिकेशन के फस्‍र्ट डिप्‍टी डायरेक्‍टर दिलशोद सेद्जानोव ने कहा है कि सेंट्रल एंड साउथ एशिया कांफ्रेंस का असल मकसद यहां के एक्‍सपर्ट और अधिकारियों के बीच आपसी रिश्‍तों को और मजबूत करना है।

15-16 जुलाई के बीच हो रही इस कांफ्रेस में भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हैं। ताशकंद में हो रही इस कांफ्रेंस का शीर्षक इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन सेंट्रल एंड साउथ एशिया रिजनल कनेक्टिविटी, चैलेंज एंड ऑपरच्‍युनिटी रखा गया है। इस कांफ्रेंस से पहले उजबेकिस्‍तान में मौजूद भारतीय राजदूत मनीष प्रभात ने इसको लेकर भारतीय नजरिए की जानकारी दी थी। उनका कहना था कि भारत वर्ष 2000 से ही यहांक सभी देशों को आपस में जोड़ने की बात कहता रहा है। ईरान और रूस पहले से ही उत्‍तरी ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पर काम कर रहे हैं। आज इस मुद्दे पर इस प्‍लेटफार्म के माध्‍यम से कई सारे देश एक साथ आए हैं। भारत की पूरी कोशिश है कि वो इसमें शामिल सभी देशों से आपसी संबंधों केा और अधिक मजबूत करे।

मनीष ने चाहबहार पोर्ट के बाबत पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि मध्‍य एशियाई क्षेत्र में ईरान स्थित ये चाहबहार पोर्ट आपसी व्‍यापार में बड़ी भूमिका निभा सकता है। भारत इसको काफी कुछ डेवलेप कर चुका है। भारत चाहता है कि देशों की ये आपसी कनेक्टिविटी इस पोर्ट के माध्‍यम से हो। इससे मध्‍य एशिया में व्‍यापार बढ़ेगा। मौजूदा समय में व्‍यापार का जरिया अफगानिस्‍तान है। चाहबहार पोर्ट पूरे मध्‍य एशिया के लिए बेहद खास हो सकता है।

आपको बता दें कि मध्‍य एशिया पूरी तरह से जमीन से घिरा हुआ है। इसलिए भारत यहां पर व्‍यापार के लिए नए रास्‍ते तलाश रहा है। जमीन के साथ साथ वो एयर कॉरिडोर को भी एक विकल्‍प के रूप में देख रहा है। ये सभी बातें इस कांफ्रेंस का हिस्‍सा हैं। भारत की राय और विचारों को यहां पर विदेश मंत्री एस जयशंकर रखेंगे। ये कांफ्रेंस उजबेकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति शावकत मिर्जीयोयेव के प्रयास से हो रही है।