पर्यावरण मंत्रालय ने मांगी हरियाणा सरकार से मांगी रिपोर्ट,अरावली में पहाड़ की चकबंदी पर
दिल्ली से सटे फरीदाबाद में अरावली में पहाड़ की चकबंदी के मामले में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हरियाणा सरकार से रिपोर्ट तलब की है। गैर मुमकिन पहाड़ उस जमीन को कहते हैं, जिसपर पर खेती नहीं की जा सकती है और इसकी खरीद फरोख्त भी नहीं की जा सकती है। यह पहाड़ी जमीन समतल होती है। फरीदाबाद रोड पर ग्वाल पहाड़ी के नजदीक बिल्डर का पहाड़ पर कब्जा है। फरीदाबाद के कोट गांव में 3,184 एकड़ जमीन की चकबंदी का काम शुरू होने पर ग्रामीणों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रलय में नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) के एक आदेश को आधार बनाते हुए आपत्ति दर्ज कराई है।
एनजीटी ने अरावली के पहाड़ को प्रतिबंधित वन क्षेत्र घोषित किया हुआ है। इसके चलते हरियाणा का राजस्व विभाग चकबंदी करा रहा है। कोट गांव के ग्रामीणों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में जो आपत्ति दर्ज कराई है, उसमें कहा गया है कि उनका गांव पहाड़ी की तलहटी में बसा है। गांव के इर्द-गिर्द अरावली पर्वत माला का पहाड़ है। इस पर हरे-भरे पेड़ भी लगे हैं। यह हरियाली फरीदाबाद सहित दिल्ली के लिए ऑक्सीजन का बड़ा स्नोत है। चकबंदी करवाने के पीछे भूमाफिया का हाथ है। इसलिए चकबंदी को तत्काल प्रभाव से रुकवाया जाए। यदि चकबंदी हो गई तो यहां 1987 की तरह पहाड़ की तलहटी में जमीन की खरीद फरोख्त शुरू हो जाएगी। इससे प्रकृति को नुकसान होगा।
केशर सिंह (गांव कोट, फरीदाबाद) का कहना है कि हमने कोट गांव की 3184 एकड़ जमीन की चकबंदी को रुकवाने के लिए पहले फरीदाबाद प्रशासन और फिर हरियाणा राजस्व विभाग में गुहार लगाई थी। जब हमारी बात नहीं सुनी गई तो गांव के 100 परिवारों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में लिखित तौर पर आपत्ति दर्ज कराई थी। पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से हमें सूचित किया गया है कि मंत्रलय ने हरियाणा सरकार से रिपोर्ट मांगी है। हमें नए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से इस मामले में न्याय की उम्मीद है।