सदाचारी व्यक्ति सब जगह सम्मान पाता है -हरिचंद स्नेही

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दिल्ली, मामेंद्र कुमार : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “वेदों में सदाचार का महत्व” विषय पर ऑनलाईन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कॅरोना काल में 254 वा बेविनार था । वैदिक विद्वान आचार्य हरि ओ३म् शास्त्री ने कहा कि वेदों की दृष्टि में सदाचार बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मानव जीवन की नींव है, साथ ही उसकी सफलता का आधार भी है। ऋषि परम्परा ने आचार:परमो धर्म: कहा है जिसमेंअहिंसा,सत्य,अस्तेय , ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह आदि यम तथा शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्राणिधान आदि नियम आते हैं। इन सबका पालन करता हुआ मनुष्य वेदों के स्वाध्याय तक पहुंच जाता है। अतः महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने वेदों का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना सुनाना सब आर्यों का परम धर्म कहा है। वेदों ने परिवार की उन्नति और उसका विकास, माता -पिता की सेवा, पति-पत्नी में प्रेम और वेदानुकूल आचरण तथा यज्ञादि श्रेष्ठ कर्मों का अनुष्ठान ही सदाचार और परमधर्म बताया है।

महर्षि मनु महाराज ने कहा है-
वेद स्मृति सदाचार:स्वस्य च प्रिय आत्मन:।*
एतत् चतुर्विधम् आहु:साक्षाद्धर्म लक्षणम् ।।
अर्थात् वेद स्मृति आदि श्रेष्ठ ग्रन्थों का स्वाध्याय, सदाचार का पालन करना और अपने जैसा आचरण दूसरों के साथ भी करना धर्म का लक्षण है। इसलिए सदाचार का पालन करना धर्म का पालन करना है।जो सदाचार का पालन करते हैं वे ही परमधर्म को पालते हैं।

आर्य नेता हरिचंद स्नेही ने कहा कि सदाचारी व्यक्ति का समाज में सर्वत्र सम्मान होता है । सदाचार जीवन का गहना है उसी से शोभा होती है ।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि वैदिक संस्कृति चरित्र निर्माण पर बल देती है । चरित्रवान व्यक्ति से सब भय खाते हैं । अध्यक्ष कुलभूषण मेहता ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने व्यक्ति के सर्वागीण विकास की बात कही है । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि हमारा आचरण, व्यवहार दर्पण है । अर्जुन दास दुर्रेजा ने सफल आयोजन के लिए बधाई दी । गायिका सुदेश आर्या,ईश्वर देवी,विजय लक्ष्मी आर्या,विजया रानी शर्मा, रवीन्द्र गुप्ता, चंद्र कांता आर्या,मर्दुल अग्रवाल, कुसुम भंडारी, वीरेन्द्र आहूजा, जनक अरोड़ा, सुमित्रा गुप्ता, आदर्श मेहता ने भजन सुनाये । प्रमुख रूप से महेंद्र भाई, आनन्द प्रकाश आर्य,राजेश मेहंदीरत्ता, प्रेम सचदेवा, सोहन लाल आर्य,अमरनाथ बत्रा,ओम सपरा,जीवन लाल आर्य,वेद भगत आदि उपस्थित रहे।